महिलाएं देश की आधी आबादी मानी जाती हैं, ऐसे में उनके समुचित विकास के बिना हम देश के विकास की कल्पना नहीं कर सकते हैं। महिलाओं का समुचित विकास बिना उन्हें आर्थिक रुप से सशक्त किए नहीं हो सकता है। महिला सशक्तीकरण की जब हम बात करते हैं, तो सिर्फ उनकी सुरक्षा, सामाजिक अधिकार जैसे मुद्दों तक बात सीमित रह जाती हैं, लेकिन महिला सशक्तिकरण के लिए जरूरी है उनका आर्थिक सशक्तिकरण। इसके पीछे कई कारण हैं मसलन
1. सदियों से महिलाओं की आवाज़ दबी हुई है। अगर वो आर्थिक रुप से सशक्त होंगी, तो समाज में भी उनकी बात सुनी जाएगी। क्योंकी समाज में आर्थिक रुप से सबल इंसान को ज्यादा महत्व दिया जाता है।
2. आर्थिक रुप से सशक्त होने पर महिलाओं की निर्भरता पुरुषों पर से खत्म हो जाएगी, ऐसे में उन्हें अपने अधिकारों के लिए पुरुषों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा।
3. महिलाएं कमाएं हुए पैसे या परिवार के किसी अन्य स्त्रोत से मिले पैसे को बच्चों के भरण पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च करते हैं। इसका बेहतरीन उदाहरण केरल है। ऐसे में अगर महिलाओं के आर्थिक रुप से सशक्त होने पर बच्चों के भी विकास में मदद मिलेगी।
4. आर्थिक रुप से सशक्त महिलाएं आत्मविश्वास से लबरेज होती हैं, ऐसे में उनकी सामाजिक सुरक्षा और उनके अधिकारों की लड़ाई वो खुद लड़ सकती है, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में कारगर साबित हो सकता है।
5. हाल ही में विश्व आर्थिक मंच की ओर से जारी ग्लोबल जेंडर इंडेक्स में लैंगिग समानता के मामले में भारत को 87 वां स्थान मिला है, जिसमें आर्थिक तौर पर असमानता को सबसे बड़ी चुनौती माना गया है। यानी बिना आर्थिक खाई को पाटकर हम लैंगिक समानता के लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर सकते हैं।
हालांकि ये काम बिना समाज और सरकार के प्रयासों से नहीं हो सकता है। हालांकि सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाएं हैं मसलन
1. 2001 में सरकार ने महिला उत्थान नीति बनाई, जिसके तहत उनके आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर कई कदम उठाए गए।
2. महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए स्टैंड अप इंडिया जैसी कई योजनाएं चलाईं गईं, जिसके तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में महिलाओं को आगे आने का मौका मिल रहा है।
3. प्रधानमंत्री जनधन योजना औऱ महिला बैंक जैसे कदम उठाकर महिलाओं की पहुंच बैक तक आसान की गई, ताकि वो अपनी कमाई को सुरक्षित रख सकें।
हालांकि अभी भी इस दिशा में कई कदम उठाए जाने बाकी है। सबसे जरूरी है महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर समाज के एक बड़े हिस्से की सोच बदले।
आभार : सुमित कुमार झा