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बीते पखवाड़े नई दिल्ली के अतिसुरक्षित कनॉट प्लेस थाना क्षेत्र के दायरे में एक आठ साल की बच्ची को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म किया गया. पीड़िता बच्ची को उस वक्त अगवा किया गया, जब वह अपने मां-बाप के साथ बंगला साहिब गुरुद्वारा के पास फुटपाथ पर सो रही थी. इसके कुछ दिन बाद दिल्ली के ही कमला मार्केट इलाके में एक महिला को घर में बंधक बनाकर उसकी 16 साल की बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. दुनियाभर में ‘रेप कैपिटल’ के रूप में कुख्यात हो चुकी दिल्ली में शायद ही ऐसा कोई दिन बीतता है, जब महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले सामने न आते हों.
दिसंबर, 2012 में निर्भया कांड के बाद दिल्ली सहित देशभर में लोगों ने जिस तरह महिला सुरक्षा को लेकर आवाज बुलंद की और सरकार हरकत में आई, उसके बाद लगा था हालात तेजी से सुधरेंगे. लेकिन दिल्ली पुलिस के साथ राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़े बताते हैं कि स्थिति में सुधार होने की जगह यह और बदतर ही हुई है.
पूरे देश में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2015 के दौरान प्रति लाख आबादी पर दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 184.3 मामले दर्ज किए गए थे. यह आंकड़ा 2014 की तुलना में 15.2 ज्यादा है. इसके अलावा 2014 और 2015 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध दर में बढ़ोतरी के मामले में असम के बाद दिल्ली दूसरे पायदान पर रहा है. असम में ऐसे अपराधों में इस दौरान जहां 24.8 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई, वहीं दिल्ली में यह आंकड़ा 15.2 फीसदी रहा.
पांच साल के दौरान दुष्कर्म के मामलों में 277 फीसदी की बढ़ोतरी
इस बीच, इंडिया स्पेंड ने दिल्ली पुलिस के द्वारा जारी आंकड़ों के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. इसके मुताबिक 2011 से 2016 के बीच दिल्ली में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में 277 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2011 में जहां इस तरह के कुल 572 मामले सामने आए थे, वहीं 2016 में यह आंकड़ा 2155 रहा. इनमें से 291 मामलों का अप्रैल, 2017 तक समाधान नहीं हो पाया था. इसके अलावा चर्चित निर्भया कांड के बाद दुष्कर्म के दर्ज मामलों में 132 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इस साल अकेले जनवरी में दुष्कर्म के 140 मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा मई 2017 तक राज्य में दुष्कर्म के कुल 836 मामले सामने आ चुके हैं.
यौन उत्पीड़न के मामलों में करीब पांच गुना बढ़ोतरी
देश की राजधानी में महिला यौन उत्पीड़न के मामलों में भी अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई है. 2012 में जहां इस तरह के कुल 727 मामले दर्ज किए, वहीं 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 4165 हो गया. यानी इस अवधि के दौरान इनमें 473 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस साल अकेले जनवरी में इस तरह के कुल 238 मामले सामने आए हैं.
दुष्कर्म के मामलों में खुद दिल्ली पुलिसकर्मी आरोपित
साल 2014 से 2016 के बीच दिल्ली पुलिसकर्मियों के खिलाफ दुष्कर्म के 36 मामले दर्जकिए. इनमें से आठ मामले दूसरे राज्यों में दर्ज किए गए हैं. यह जानकारी गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में दी थी. इसके मुताबिक इन तीन वर्षों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के कुल 90 मामले दर्ज किए गए. इसके अलावा इनके खिलाफ महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के भी नौ मामले सामने आए हैं.
2015 में कॉमनराइट्स ह्यूमन इनीशिएटिव्स (सीएचआईआर) नामक एक संगठन ने दिल्ली और मुंबई में एक सर्वे कराया था. इसमें पता चला कि कुल आपराधिक घटनाओं में से केवल 25 फीसदी मामलों में ही एफआईआर (प्राथमिकी) दर्ज की जाती है. संस्था की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि दिल्ली में दुष्कर्म के 13 मामलों में केवल एक की ही रिपोर्ट की जाती है.
महिला सुरक्षा के लिए किए जा रहे उपाय विफल
एनसीआरबी और दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के साथ केंद्र सरकार द्वारा संसद में दी गई जानकारी भी बताती है कि निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा के लिए लाए गए सख्त कानून के साथ अन्य उपाय भी महिला सुरक्षा को पुख्ता करने में विफल रहे हैं. इनमें महिला हेल्पलाइन, ट्रैकिंग सिस्टम जैसी कवायदें शामिल हैं. इसके अलावा इस मामले में सरकार की भी लापरवाही सामने आई है. केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया गया कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाओं की सुरक्षा के लिए जारी किए फंड का इस्तेमाल ही नहीं किया गया. इसके अलावा महिला सुरक्षा के लिए बनाए गए निर्भया फंड में आवंटित करीब 3000 करोड़ रुपए का एक बड़ा हिस्सा अभी तक यूं ही बेकार पड़ा है.