कई स्वास्थ्य संकेतकों पर किए गए एक वैश्विक अध्ययन के नतीजों में भारत को 188 देशों में 143वें पायदान पर रखा गया है। जारी किए गए अध्ययन के नतीजों में मृत्यु दर, मलेरिया, साफ-सफाई और वायु प्रदूषण सहित कई चुनौतियां भी गिनाई गई हैं।
- सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) में स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रदर्शन के पहले वार्षिक आकलन से जुड़ी अध्ययन रिपोर्ट प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका ‘लैंसेट’ में प्रकाशित और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान पेश की गई। इसमें कहा गया, ‘तेज आर्थिक वृद्धि के बावजूद भारत को 143वें पायदान पर रखा गया है और वह कोमोरोस एवं घाना जैसे देशों से भी नीचे है।’
- हालांकि, भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान और बांग्लादेश से आगे रहा। पाकिस्तान को 149वें जबकि बांग्लादेश को 151वें पायदान पर रखा गया।
- साफ-सफाई, वायु प्रदूषण, मृत्यु दर जैसे मामलों में भारत का खराब प्रदर्शन इसे भूटान, बोत्सवाना, सीरिया और श्रीलंका जैसे देशों से भी नीचे ले गया है।
- जिन स्वास्थ्य संकेतकों का आकलन किया गया उनमें मलेरिया भी शामिल है। इस मामले में भारत को महज 10 अंक हासिल हुए यानी देश का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इसी तरह, साफ-सफाई के मामले में भारत को महज आठ अंक और पीएम-2.5 के मामले में सिर्फ 18 अंक मिले।
- पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर के मामले में भारत को 39 अंक मिले जबकि मातृ मृत्यु दर के मामले में इसे 28 अंक हासिल हुए
- बहरहाल, भारत का प्रदर्शन उपेक्षित मौसमी बीमारियों (एनटीडी) की रोकथाम के मामले में अच्छा रहा और उसे 80 से ज्यादा अंक मिले।
- उपेक्षित मौसमी बीमारियां, संक्रामक रोगों, हद से ज्यादा वजन और शराब के नुकसानदेह उपभोग के विविध समूह हैं। साल 2015 में स्वास्थ्य संबंधी एसडीजी सूचकांक आइसलैंड, सिंगापुर और स्वीडन में सबसे ऊंचा था और फिनलैंड को चौथे एवं ब्रिटेन को पांचवें पायदान पर रखा गया था।