सीरिया में जारी गृह युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर लोगों को विस्थापित होना पड़ रहा है। पिछले पांच सालों से जारी गृह युद्ध का अभी भी कोई अंत निकलता नहीं दिख रहा है। 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस के मौके पर जानते हैं शरणार्थी संकट के बारे में।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट है। इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन का अनुमान है कि साल 2015 में 10 लाख 11 हजार 700 से अधिक लोग समुद्र के रास्ते सीरिया छोड़कर यूरोप पहुंच चुके हैं।
- वहीं, जमीन के रास्ते 34 हजार 900 लोगों ने पलायन किया। इतनी बड़ी संख्या में प्रवासियों के आने से यूरोपियन यूनियन में इस बात को लेकर विवाद है कि उन्हें कहां बसाया जाए।
=>कहां से पहुंच रहे हैं
- बड़े पैमाने पर शरणार्थी समुद्री रास्ते से सीरिया पहुंच रहे हैं। हालांकि, कुछ संख्या में लोग सड़क के रास्ते भी जा रहे हैं। सड़क मार्ग से लोग मुख्यरुप से तुर्की और अल्बानिया होते हुए गुजर रहे हैं। समुद्री रास्ते से बिचौलिये बड़ी तादात में रकम लेकर यूरोप पहुंचाने का दावा करते हैं।
- मगर, रास्ते में नाव डूब जाने के कारण साल 2015 में ही 3,770 लोगों की मौत भी हो चुकी है। इस साल की शुरुआत में तीन साल के बच्चे अयलान कुर्दी की मौत के बाद पूरी दुनिया का ध्यान इस संकट की ओर गया।
=>किन देशों के हैं शरणार्थी
- हालांकि, अच्छी जिंदगी की तलाश में पलायन करने वाले लोगों की संख्या सीरिया में अधिक है, लेकिन सारे शरणार्थी सीरिया के ही नहीं हैं।
- इराक और अफगानिस्तान में जारी हिंसा के कारण भी बड़ी संख्या में लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। इसके अलावा कोसोवो में गरीबी के कारण भी लोगों का विस्थापन यूरोप की ओर हो रहा है।
=>कहां जा रहे हैं प्रवासी
- सबसे ज्याद शरणार्थियों के लिए आवेदन जर्मनी में किए गए हैं। जहां चार लाख 76 हजार से अधिक आवेदन किए जा चुके हैं।
- दूसरे नंबर पर हंगरी में शरण लेने के लिए आवेदन किया गए हैं। दिसंबर 2015 के अंत तक एक लाख 77 हजार 130 आवेदन शरणार्थी बनने के लिए किए गए थे।
=>क्या समस्या हो रही है
- जर्मनी के अधिकारियों ने कहा कि अभी तक 10 लाख से अधिक शरणार्थियों की देश में गिनती की जा चुकी है। मगर, शरण हासिल करने का दावा करने से पहले वह स्थानीय लोगों के लिए समस्या बन रहे हैं।
- जर्मनी में नए साल के जश्न के दौरान प्रवासी मुस्लिमों ने स्थानीय लड़कियों के साथ अभद्रता की। इसे लेकर जर्मनी का समाज स्तब्ध हो गया कि जिन्हें वे शरण दे रहे हैं, वे ही उनकी जिंदगी के लिए खतरा बन रहे हैं।