बाल्टिक सूचकांक (वैश्विक व्यापार सूचकांक) और इसका महत्व

 बाल्टिक ड्राई सूचकांक कच्चे माल, जैसे- धातुओं, अयस्क, कोयला, खाद्य पदार्थों और उर्वरकों की समुद्र के रास्ते परिवहन लागत में बदलाव का मापदंड है।

वैश्विक मंदी का स्पष्ट असर बाल्टिक ड्राई सूचकांक पर नजर आ रहा है और जहाजों के जरिये मालवहन 36 साल के निचले स्तर पर आ गया है।

- इसका अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि 2008 में यह सूचकांक 11,000 से भी ऊपर था, जो अब 300 अंक के आसपास रह गया है। 
- चीन और अमेरिका सहित दुनिया भर में मंदी के कारण माल की आवाजाही कम हो गई है।

** नतीजा यह है कि जहाज कंपनियां अपने पोत और कंटेनर सेवा से हटाने पर विचार कर रही हैं। अगर छंटनी जैसा कदम उठाया तो इस उद्योग के लिए ऐसा पहली बार होगा।

** अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर माल की आवाजाही में चीन की भागीदारी घटने से बाल्टिक सूचकांक में गिरावट का रुख बना हुआ है और पिछले कुछ हफ्तों में इसमें तेज गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे न केवल एशिया प्रशांत, बल्कि दुनिया भर में बल्क कारोबार प्रभावित हो रही है।

- चीन कई जिंसों में दुनिया का सबसे बड़ा आयातक और निर्यात है। ऐसे में वहां मंदी के संकेत से वैश्विक बाजार पर असर पडऩा लाजिमी है।

बाल्टिक सूचकांक 20 मई, 2008 को अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 11,793 पर पहुंच गया था। लेकिन उसके बाद सूचकांक इस स्तर को कभी छू नहीं पाया।

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