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भारत में टीकों पर निगरानी की व्यवस्था पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी मुहर लगा दी है। डब्ल्यूएचओ की अंतरराष्ट्रीय टीम ने ग्लोबल बेंचमार्किग टूल के आधार पर पांच दिन की समीक्षा के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक सही पाया है।
- डब्ल्यूएचओ के प्रीक्वालिफिकेशन प्रोग्राम (पीक्यूपी) में सफल रहने के बाद अब भारतीय टीका उद्योग को और मजबूती मिल सकेगी।
- WHO ने इस परीक्षण में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के साथ ही राज्यों की निगरानी व्यवस्था और इन टीकों के असर पर नजर रखने वाली व्यवस्था को भी शामिल किया था
- भारत दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता देशों में है और यहां से 150 से ज्यादा देशों को बहुत बड़ी मात्र में टीके निर्यात होते हैं।
- डब्ल्यूएचओ की ओर से टीकों के राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (एनआरए) को दी गई स्वीकृति के बाद भारतीय टीकों की गुणवत्ता को लेकर दुनियाभर के देश आश्वस्त हो सकेंगे।
- दुनियाभर में सप्लाई के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां भी बड़ी मात्र में टीके खरीद करती हैं। डब्ल्यूएचओ की ओर से भारतीय नियामक व्यवस्था को सही पाए जाने के बाद अब ये एजेंसियां यहां से इन टीकों को सीधे खरीद सकेंगी। भारत में टीका बनाने वाली 21 बड़ी इकाइयां चल रही हैं।