- अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में डालर की तुलना में रुपए की गणना इस तरह से की जाती है कि एक डालर के बदले कितने रुपए मिल रहे हैं.
- जैसे कि अगर अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 65 रुपये प्रति डालर है तो मतलब एक डालर के बदले 65 रुपए.... तो रुपए की मात्रा जितनी बढेगी वह डालर की तुलना में उतना ही अधिक कमजोर होता जाएगा. यानी डालर की तुलना में उसका मूल्य कम होता जाएगा.
- वैश्वीकरण के इस दौर में इस तरह के घटनाक्रम से देश, कंपनी विशेष की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है इससे इनकार नहीं किया जा सकता.
=>रुपये के मूल्य में गिरावट के प्रभाव (किसको लाभ, किसको नुकसान):-
- रुपये के मूल्य में गिरावट से जहां आयातकों को नुकसान होता है, वहीं देश में पैसा भेजने वाले या भारत में रहकर डालर में वेतन लेने और रुपये में खर्च करने वालों को फायदा होता है.
- मोटे तौर पर इस बदलाव का असर डालर में होने वाले विदेशी व्यापार यानी आयात-निर्यात पर होता है.
- रूपए की कीमत में गिरावट से भारत के आयातित मूल्यों में वृद्धि होगी और निर्यात मूल्यों में कमी आ जाएगी.
- इसके अलावा वे कंपनियां अपने उत्पादों के दाम बढा देंगी जो बाहर से कलपुर्जे मंगाकर अपने उत्पादों में लगाती हैं..
- अगर हालात विपरीत हों यानी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डालर कमजोर हो रहा हो और रुपया मजबूत तो आयातकों को फायदा होगा, निर्यातकों को नुकसान क्योंकि ऐसे में भारत के आयातित मूल्यों में कमी और निर्यात मूल्यों में बढोतरी होगी