माना जाता है कि बदलते वक्त के साथ सोच भी बदल जाती है। लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में हमारे समाज की सोच बदली नहीं है, बल्कि ये और भी खराब हो गई है।
पर क्या हिया हकीकत आंकड़ो के हिसाब से
- आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 वर्षों में देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध दोगुने हो गए हैं। पिछले एक दशक में महिलाओं के खिलाफ करीब 22 लाख 40 हज़ार आपराधिक घटनाएं हुईं यानी पिछले एक दशक में हर एक घंटे में 26 महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाएं हुईं
- National Crime Records Bureau के मुताबिक 2005 में भारत में महिलाओं के खिलाफ करीब 1 लाख 55 हज़ार केस दर्ज हुए थे जो 2014 में बढ़कर 3 लाख 37 हज़ार पहुंच गए।
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विश्लेषण
इन आंकड़े को देखकर ये तर्क भी दिया जा सकता है कि पहले के मुकाबले ज़्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं और सिस्टम में सुधार हुआ है लेकिन इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध दोगुने हो गये।
- ये आंकड़ा एक अलार्म है। इसे सिर्फ अच्छी कागज़ी कार्रवाई का तर्क देकर खारिज नहीं किया जा सकता।
- हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जहां देवियों की पूजा की जाती है और ये विडंबना ही है कि देवियों की पूजा करने वाले इस देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध सबसे ज्यादा होते हैं।