Ø नीति (नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर ट्रान्सफार्मिंग इंडिया) आयोग की संचालन परिषद की रविवार को हुई बैठक में देश में बदलाव लाने का अगले 15 साल का रोडमैप पेश हुआ।
Ø बैठक में त्रिवर्षीय कार्ययोजना(2017-2020) के मसौदे पर चर्चा हुई और जैसाकि सरकार ने एलान किया है कि 31 मार्च 2017 को खत्म होने जा रही 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद तीन वर्षीय योजना लाई जाएगी जो इसी 1 अप्रैल से लागू होगी, जिसमें तीन साल का एक्शन प्लान भी शामिल है।
देश की विकास दर में तेजी का लाभ युवाओं को नौकरी के बढ़े हुए अवसरों के रूप में मिले, इसके लिए सरकार रोजगार सृजन की एक व्यापक योजना तैयार करने जा रही है।
Ø तीन वर्षीय योजना में इसी पर खासा जोर दिया गया है,क्योंकि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के कार्यकाल में विकास दर लगातार कई साल 9 फीसदी से ऊपर रहने के बावजूद नौकरियां नहीं बढ़ी थीं। इसलिए यूपीए सरकार पर जॉबलैस ग्रोथ का आरोप लगा था।
Ø खुद श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2013-14 में नौकरी की तलाश करने वाले मात्र 60 प्रतिशत ही ऐसे थे जिन्हें पूरे साल काम मिला। शेष में अधिकांश को एक-दो महीने काम करने का ही मौका मिला।
Ø 3.7 प्रतिशत लोग ऐसे भी थे जिन्हें कोई काम ही नहीं मिला। खासकर पढ़े-लिखे लोगों में यह प्रतिशत अधिक था। हालांकि बीते तीन वर्ष में विकास दर का स्तर सात प्रतिशत से ऊपर रहने के बावजूद रोजगार के अवसरों में अपेक्षानुरूप वृद्धि नहीं हुई है।
Ø प्रथम त्रिवर्षीय कार्ययोजना में क्षेत्र आधारित उपायों के साथ-साथ कौशल विकास और स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली योजनाओं को भी प्रभावी बनाने की रणनीति की जरूरत है और महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं की निगरानी हेतु सहयोगात्मक संघवाद अर्थात को-ऑपरेटिव फेडरेलिज़्म को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिससे 2022 तक ‘न्यू इंडिया’ का सपना वास्तव में साकार किया जा सके। पांच की जगह तीन साल की योजनाओं से बदलाव की प्रक्रिया तेज होगी इसमें शक नहीं है लेकिन, देश का असली रूपांतरण तभी होगा जब हर युवा को रोजगार मिलेगा।