साझा प्रयासों से बनेगा आत्मनिर्भर भारत
सरकार का फोकस घरेलू बाजार पर होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है। इसके लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ के साथ आत्मनिर्भर भारत की बात कही गई है।
Where to focus:
- भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मजदूरों की समस्याओं को दूर करने के साथ संस्थागत सुधारों पर भी ध्यान देना होगा।
- हमें गांवों को एक यूनिट मानकर उनके विकास के लिए नई आíथक नीतियां बनानी होंगी। इसके लिए विकास का प्रवाह ऊपरी स्तर से निचले स्तर (टॉप टू बॉटम) की ओर होने के बजाय निचले स्तर से ऊपरी स्तर (बॉटम टू टॉप) की ओर होना चाहिए, क्योंकि भारत विविधताओं वाला देश है। एक क्षेत्र की समस्याएं दूसरे क्षेत्र की समस्याओं से अलग हैं। इसलिए एक ही नीति से सभी क्षेत्रों को नहीं हांका जा सकता। आíथक विकास की नीतियां राष्ट्रीय स्तर पर न हों, बल्कि राज्यों से प्रेरित जिला आधारित हों एवं जिनका मुख्य केंद्र गांव होने चाहिए। हमें इस महत्वपूर्ण तथ्य को समझना होगा कि राष्ट्रीय स्तर पर जो नीतियां बनाई जाती हैं, वे पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का काम करती हैं, परंतु आíथक विकास की जो नीतियां ऊपर से नीचे की ओर आती हैं, वे अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को उतना लाभ नहीं पहुंचा पातीं।
- ग्रामीण स्तर पर रोजगार एवं श्रम शक्ति के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए ऑनलाइन ग्रामीण-शहरी रोजगार सूचना केंद्र बनाया जाना चाहिए। यदि इन ग्रामीणों एवं छोटे शहरों के युवाओं को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार गांव में ही प्रशिक्षण सुविधाएं मिल जाएं एवं स्थानीय लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों में रोजगार की राह खुल जाए तो केवल बेरोजगारी की समस्या का हल ही नहीं निकलेगा, अपितु पलायन की समस्या भी सुलङोगी।
- कौशल विकास योजना द्वारा युवाओं को स्थानीय जरूरतों के आधार पर प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए स्कॉलरशिप भी दी जानी चाहिए। इससे परंपरागत शिक्षा पद्धति में भी परिवर्तन आएगा जो प्रति वर्ष बड़ी तादाद में बेरोजगारों की भीड़ तैयार कर रही है
- वहीं जो मजदूर पहले से ही प्रशिक्षित एवं पढ़े लिखे हैं उन्हें खाद्य पदार्थो, फलों-सब्जियों, दुग्ध उत्पादों, मछलियों, स्थानीय उत्पादों आदि की प्रोसेसिंग, ग्रेडिंग और पैकेजिंग इत्यादि की ओर आकर्षति किया जा सकता है। हालांकि इसमें सबसे बड़ी समस्या उत्पादन की गुणवत्ता एवं ब्रिकी की होगी। इसके लिए स्थानीय उत्पादों को आसपास की बड़ी कंपनियों के साथ जोड़कर प्रोत्साहन दिया जा सकता है। लघु एवं कुटीर उद्योगों जैसे ग्रामोद्योग, हथकरघा उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की दरकार है, ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन हो, स्थानीय उत्पादों को पहचान मिल सके और लोकल सप्लाई चेन मजबूत बने।
- औद्योगीकरण की नीति में बदलाव करते हुए उद्योगों के विकेंद्रीकरण पर विशेष बल दिया जाना चाहिए जिससे विकास की धारा को गांवों, कस्बों एवं छोटे शहरों तक लाया जाया जा सके। इसके लिए सबसे बड़ी बाधा लालफीताशाही एवं बाबूगीरी को कम करने के लिए प्रत्येक फाइल एवं उससे संबंधित विवाद के निपटारे के लिए उसे नवीन तकनीक से जोड़ते हुए इस प्रक्रिया को और अधिक सरल एवं व्यावहारिक बनाया जाना चाहिए।
- विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए हमें विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा बनाना होगा। भारत में सस्ते श्रमिकों की बड़ी संख्या एवं एक बड़ा उपभोक्ता बाजार पहले से ही है। जापान ने अपनी 500 कंपनियों को चीन से हटकर दूसरे देशों में राह तलाशने को कहा, परंतु अभी तक केवल तीन कंपनियों ने ही भारत का रुख किया है।
WAY AHEAD:
आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को केवल आíथक सुधारों से ही नहीं, बल्कि श्रम सुधार, सिविल सेवा सुधार, कौशल सुधार, शिक्षा सुधार आदि जैसे समग्र सुधारों से ही संभव बनाया जा सकता है।
- इसके लिए उचित परिवेश तैयार करने के लिए सरकार को शोध एवं विकास यानी आरएंडडी पर भी खर्च बढ़ाना होगा।
- फोर्ब्स की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार आरएंडडी पर सबसे ज्यादा व्यय करने वाली विश्व की 2500 शीर्ष कंपनियों में चीन की 301 एवं भारत की केवल 26 कंपनियां हैं। देश में बड़ी समस्या गुणवत्ता की नहीं, बल्कि प्रबंधन, कौशल, तकनीकी ज्ञान के समन्वित प्रयोग की भी है। इसके कारण आज भी यहां श्रम एवं पूंजी की उत्पादकता तुलनात्मक रूप से काफी कम है। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए न सिर्फ कर प्रणाली आसान बनानी होगा, बल्कि ऋण और वित्त की कमी से निपटने के लिए मजबूत वित्तीय प्रणाली भी विकसित करनी होगा। वित्त के लिए निजी क्षेत्र की मदद भी ली जा सकती है। केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी इस महान यज्ञ में योगदान देना होगा। लोगों की सहभागिता के साथ न केवल आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न साकार होगा, बल्कि इसके लिए आवश्यक आधारभूत ढांचे के विकास को भी बल मिलेगा तथा बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास आदि की सुविधाएं प्रत्येक व्यक्ति को मिल सकेंगी। शर्त सिर्फ इतनी है कि इसे लागू करने में सरकार को दृढ़ राजनीति इच्छाशक्ति का परिचय देना होगा।
Reference: https://www.jagran.com/