एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो मनी लांडिंग और आतंकी फंडिंग जैसे अपराधों की रोकथाम के लिए नीतियां और मानक तैयार करता है। इसकी स्थापना जुलाई, 1989 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित जी-7 देशों की शिखर बैठक की पहल पर हुई। इसका मुख्यालय पेरिस में है। अभी एफएटीएफ में 38 सदस्य हैं जिसमें दो क्षेत्रीय संगठन - यूरोपीय कमीशन और गल्फकॉपरेशन काउंसिल शामिल हैं। साथ ही दो देश - इंडोनेशिया और सऊदी अरब बतौर ऑब्जार्वर इसमें शामिल हैं। भारत 2010 में एफएटीएफ का सदस्य बना।एफएटीएफ वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी करता है। एफएटीएफ ने पहली बार 1990 में दिशा-निर्देश जारी किये थे। इसके बाद 1996, 2001 और 2003 में दिशा-निर्देश जारी किये। सबसे ताजा दिशा-निर्देश 2012 में जारी किए गए हैं। कुल मिलाकर एफएटीएफ ने अब तक 40 दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों में वे सभी उपाय हैं जिनके जरिये मनी लांडिंग और आतंकी फंडिंग रोकी जा सके। इनमें बैंक खाते और रियल एस्टेट ट्रांजेक्शन के लिए केवाईसी की जरूरत, आर्थिक अपराध की जांच का तंत्र स्थापित करना, आर्थिक अपराधों के संबंध में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने जैसे उपाय शामिल हैं।एफएटीएफ विभिन्न देशों में इन दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन के लिए किए गए जरूरी उपायों की निगरानी भी करता है। जिन देशों में मनी लांडिंग और आतंकी फंडिंग रोकने का तंत्र नाकाफी है लेकिन उन्होंने एफएटीएफ के दिशानिर्देशों को लागू करने की प्रतिबद्धता प्रकट की है उन्हें निगरानी सूची यानी ग्रे लिस्ट में रखा जाता है। लेकिन जो देश इस तरह की प्रतिबद्धता नहीं दर्शाते उन्हें ब्लैक लिस्ट मे डाल दिया जाता है। ऐसे देशों को हाई रिस्क देश भी कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि उनके साथ किसी भी तरह का आर्थिक लेनदेन करना जोखिम भरा हो सकता है। एफएटीएफ अगर किसी देश को ब्लैक लिस्ट करने का प्रस्ताव करता है, तो वह देश इससे तभी बच सकता है जब कम से कम तीन सदस्य उसके पक्ष में हों। पाकिस्तान को भी ब्लैक लिस्ट होने से बचाने के लिए तीन देशों - चीन, मलेशिया और तुर्की ने समर्थन दिया है। फिलहाल ईरान और उत्तर कोरिया ब्लैकलिस्ट में हैं। एक बार किसी देश के ब्लैक लिस्ट में जाने के बाद अन्य देश उसके साथ कारोबार करने में ड्यू डिलिजेंस बढ़ा देते हैं या बंद कर देते हैं जिससे उसके आर्थिक हितों पर कड़ी चोट पहुंचती है। पाकिस्तान सहित करीब दर्जनभर देश एफएटीएफ की निगरानी सूची में हैं।