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हमारे देश में कंपनियों का पंजीकरण रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) द्वारा होता है, जो कंपनी मामलों के मंत्रलय (एमसीए) में आता है। मंत्रलय ने कंपनियों के पंजीकरण से लेकर उनके बारे में हर जानकारी एक ही जगह उपलब्ध कराने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया है जिसे ‘एमसीए-21’ कहते हैं। इसके नाम में 21 का आशय 21वीं सदी से है। यह ऐसा पोर्टल है जहां कंपनियों का पंजीकरण होता है और पंजीकृत कंपनियां सालाना रिटर्न, बैलेंस शीट, नाम व पते में बदलाव और निदेशकों का ब्योरा सहित सभी जरूरी दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में ही फाइल कर सकती हैं। एक प्रकार से यह इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्री का काम करता है। इन सूचनाओं को सहेजकर रखने के लिए दिल्ली में एक डाटा सेंटर, जबकि एक डिजास्टर रिकवरी सेंटर चेन्नई में स्थापित किया गया है। चेन्नई स्थित यह सेंटर किसी भी आपात स्थिति में बैक-अप का काम करता है। ‘एमसीए-21’ पर उपलब्ध सूचनाएं सार्वजनिक होती हैं और एक निश्चित फीस देकर कोई भी इन्हें देख सकता है। सरकार की ओर से दी जा रही विभिन्न सेवाओं जैसे डिजिटल सिग्नेचर और डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर प्राप्त करने के लिए भी इस पोर्टल पर आवेदन किया जा सकता है। जो भी कंपनी आरओसी में रजिस्टर्ड है उसके वित्तीय लेखाजोखा को इस पोर्टल पर देखा जा सकता है। फिलहाल देश में 18 लाख से अधिक कंपनियां पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें से मात्र 11.16 लाख कंपनियां ही सक्रिय हैं। अगर कोई कंपनी लगातार तीन साल तक वित्तीय लेखाजोखा दाखिल नहीं करती है तो उसे निष्क्रिय मान लिया जाता है।एमसीए-21 में दाखिल किए गए उनके सालाना एकाउंट्स के आधार पर ही सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (सीएसओ) फिलहाल जीडीपी की नई सीरीज (आधार वर्ष 2011-12) में खनन, मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र के जीडीपी का आकलन कर रहा है। पुरानी जीडीपी सीरीज (आधार वर्ष 2004-05) में प्राइवेट कॉरपोरेट क्षेत्र के जीडीपी का अनुमान रिजर्व बैंक की कंपनियों की वित्तीय स्थिति के अध्ययन के आधार पर लगाया जाता था। इसके तहत आरबीआइ हर साल 2,500 कंपनियों के वित्तीय परिणामों का अध्ययन करता था। ताजा विवाद उस समय खड़ा हुआ जब एनएसएसओ ने इस डाटाबेस में शामिल कंपनियों का सर्वे कर एक रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एमसीए-21 डाटाबेस में से 34,456 उद्यमों का सर्वे करने के बाद पता चला कि 39 फीसद उद्यम ‘आउट ऑफ सर्वे’ हैं, 21 फीसद उद्यम ‘आउट ऑफ कवरेज’ व 12 फीसद उद्यम ‘नॉन-ट्रेसेबल’ (जिनके बारे में कुछ पता नहीं) हैं। इस रिपोर्ट के बाद जीडीपी के अनुमान लगाने में ‘एमसीए-21’ डाटाबेस के इस्तेमाल पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि पूर्व मुख्य सांख्यिकीय अधिकारी प्रणव सेन का कहना है कि जीडीपी का अनुमान लगाने के लिए एमसीए-21 डाटाबेस का इस्तेमाल करना बिल्कुल उचित है। इसकी वजह यह है कि जीडीपी की पुरानी सीरीज की तुलना में नई सीरीज में कॉरपोरेट सेक्टर का अनुमान लगाने के लिए कई गुना ज्यादा कंपनियों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है।