Non Performing Assests (NPA) = Bad Loan
अनर्जक परिसंपत्तिया (NPA) बैंकों के द्वारा दिया गया एक ऐसा ऋण या अग्रिम हैं जिसके मूलधन या ब्याज का भुगतान 90 दिनों की अवधि तक बकाया हो |
यह ज्यादातर काफी बड़ा loan होता है जो की कंपनी चुकता नहीं करती | उन्हें रिकवर करने की सम्भावना बेहद कम होती है | loan न देने के कई कारन होते है जैसे की :
1. कंपनी का दिवालिया निकल जाना |
2. कंपनी का जान बूछ कर घटा दिखा देना |
देश में बैकों का 10 लाख करोड़ सकल नान परफोर्मिंग एसेट्स (एनपीए) है जो श्रीलंका की जीडीपी की दोगुना रकम है.
NPA में बढ़ोतरी के कारण :
1. क्रोनी कैपिटलिज्म : राजनितिक दबाव में आकर कुछ ख़ास कंपनियों को लोन देना |
2. पालिसी पैरालिसिस : सही समय पर हस्ताकक्षेप न करना जिसकी वजह से कई कंपनी के loan NPA में बदल जाता है |
3. रेगुलेटरी कण्ट्रोल का कम होना |
4. ऋण के प्रारंभिक वितरण में जांच पड़ताल की कमी के वजह से अक्षम कंपनियों को ऋण दे दिया जाता हैं
प्रभाव
1. अर्थव्यवस्था पर बुरा असर |
2. नयी कंपनी के लिए लोना की प्रक्रिया मुश्किल |
3. विकास पर प्रभाव |
NPA दूर करने के लिए :
1. RBI द्वारा स्पेशल मेंशन अकाउंट का बनना जिसके द्वारा कोई भी ऐसा ऋण जो 30 दिन से 90 दिन की अवधि के बीच अपना मूलधन व ब्याज न लौटा रही हो , ऐसे ऋण को RBI ,SMA के अन्तर्गत रखती है | रिकवरी के लिए debt recovery tribunal जहा कोई भी कंपनी बैंक के खिलाफ यहाँ अपील कर सकती है|
SARFAESI ACT 2002 – इसके अन्तर्गत बैंक व ऐसी वित्तीय संस्थान जो हाउसिंग फाइनेंस करती है अपने NPA कि वसूली कर सकती है |
2. सरकार द्वारा Insolvency and bankruptcy code 2015 का लाना जिसके द्वारा सरकार