#Dainik_Tribune
- अभी एक शोध के अनुसार भाखड़ा डैम के जल सेतु में 21954 क्यूसेक पानी ही पाया गया जो कि पिछले साल से 70 फीट कम था।
- यह एक बहुत ही खतरनाक संकेत है क्योंकि इससे जल और बिजली आपूर्ति दोनों ही बुरी तरह प्रभावित होंगे। जलाशयों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है।
- नदियों में जलस्तर कम होने से मैदानी और उपजाऊ क्षेत्रों की उत्पादकता कम होती जा रही है। नतीजा, खेती के लिए भूजल का दोहन हो रहा है और भूगर्भीय जल भी नदियों, समुद्रों में समा रहा है।
- मिट्टी में अवांछित रूप से बढ़ता हुआ कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, नाइट्रेट और क्लोरीन हमारे पेयजल और सिंचाई के जल को प्रदूषित कर रहे हैं। 16 प्रदेशों में मिट्टी में यूरेनियम खतरनाक रूप से बढ़ा हुआ पाया गया। जिस तरह की पानी की समस्या से अभी बेंगलुरु, शिमला और दिल्ली जूझ रहे हैं, निकट भविष्य में सभी रिहायशी इलाकों की यह हालत हो सकती है।
- हांसी का जल विवाद कल देश में एक आम बात हो सकती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार, समाजसेवी संस्थाओं और आम नागरिकों को मिलकर काम करना होगा।