पंजाब, हरियाणा, उत्तरर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्लीक में फसल अवशेषों के यथास्थाीन प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी प्रोत्सापहन को मंजूरी


मंत्रिमंडलकी आर्थिक मामलों की समिति ने पंजाब, हरियाणा , उत्तीर प्रदेश और राष्ट्री य राजधानी क्षेत्र दिल्लीम में फसल अवशेषों के यथास्थाजन प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरीप्रोत्साकहन को अपनी स्वीीकृति दे दी है।


योजना के घटक


I.  यथास्थाअन अवशेष प्रबंधन मशीनरी के कस्टकम हायरिंग के लिए कृषि मशीनरी बैंक की स्था पना।  किसानों की सहकारी समितियों, एफपीओ, स्वटसहायता समूहों, पंजीकृत किसान समितियों/किसान समूहों, निजी उद्यमियों, महिला किसान समूहों को फार्म मशीनरी बैंक अथवा कस्टंम हायरिंग केंद्र स्थाोपित करने के लिए परियोजना लागत के 80% की दर पर वित्तीनय सहायता प्रदान की जाएगी।
II.  यथास्थाकन अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को कृषि मशीनरी तथा उपकरण खरीद के वित्तीनय सहायता। व्यसक्तिगत किसान को कृषि अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनरी/उपकरणों की 50% लागत की दर से वित्ती य सहायता प्रदान की जायेगी।
III. यथास्थासन फसल अवशेष प्रबंधन पर जागरूकता के लिए सूचना, शिक्षा तथा संचार प्रसार।  राज्या सरकारों, केवीके, ICAR संस्थाकनों, केंद्र सरकार के संस्था्नों, सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों इत्या्दि को सूचना, शिक्षा तथा प्रचार-प्रसार के कार्यकलापों के लिए वित्तीदय सहायता प्रदान की जायेगी। इन गतिविधियों  में लघु तथा दीर्घावधि फिल्मों्, वृतचित्रों, रेडियों और टीवी कार्यक्रमों, विभिन्नप स्तररों पर प्रदर्शन शिविरों, प्रतिभा विकास कार्यक्रमों, प्रिंट मीडिया में विज्ञापन, स्टाकर अभियान, कोई भी अवशेष न जलाने के लिए ग्राम/ग्राम पंचायत के लिए पुरस्काकर, दूरदर्शन, डीडी किसान तथा अन्य् निजी चैनलों पर पैनल चर्चा के माध्यसम से जन जागरूकता अभियान शामिल हैं।

READ this: पराली’ जलाने से हवा में ‘फैलता जहर’ सरकार ‘पराली’ खरीदने का प्रबंध करे


लाभार्थी


I. संबंधित राज्यघ सरकारें जिला स्तरीय कार्यकारी समितियों (डीएलईसी) के माध्यम से विभिन्न लाभार्थियों और स्थान- कृषि प्रणाली पर निर्भर विशेष कृषि उपकरण की पहचान करेगी और कस्टम हायरिंग और व्यक्तिगत मालिक स्वामित्व के आधार पर मशीनों की खरीद के लिए कृषि मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए लाभार्थियों की पहचान और चयन करेगी ताकि पारदर्शी रूप से समय पर लाभ प्राप्त किए जा सकें।
II. राज्यं नोडल विभाग/ डीएलइसी लाभार्थी की ऋण आवश्याकता के लिए बैंकों के साथ गठबंधन करेंगे। चयनित लाभार्थियों के नाम एवं विवरण जिला स्तकर पर दस्ताीवेजों में शामिल किए जायेगें जिसमें उनके आधार/यूआईडी नम्बमर तथा प्रत्य क्ष लाभ अंतरण के माध्ययम से दी गई वित्तींय सहायता दिखाई जाएगी।
कार्यान्वायन एजेंसियां
I. केंद्रीय स्तसर पर यह योजना कृषि, सहयोग और किसान कल्यायण विभाग द्वारा प्रशासित होगी।
II. कृषि सहकारिता  और किसान कल्या्ण विभाग के सचिव की अध्यमक्षता में एक राष्ट्रीसय संचालन समिति नीति तैयार करेगी और राज्यव सरकार द्वारा योजना लागू करने के बारे में समग्र निर्देश और दिशा-निर्देश देगी तथा योजना की निगरानी तथा प्रगति और प्रदर्शन की समीक्षा करेगी।
III. अपर सचिव की अध्यनक्षता में योजना की गतिविधियों  की देखरेख कार्यकारी समिति करेगी।
IV. राज्ये स्तधर पर संबंधित राज्या सरकार अर्थात पंजाब, हरियाणा, उत्त र प्रदेश तथा राष्ट्रीेय राजधानी क्षेत्र दिल्लीज के राज्यय कृषि विभाग नोडल कार्यान्वरयन एजेंसी होंगे। संबंधित राज्यर सरकारों के प्रमुख सचिव कृषि/कृषि उत्पारदन आयुक्तृ की अध्य्क्षता में राज्यस स्तंरीय कार्यान्वहयन समितियां (एसएलइसी)नोडल एजेंसियों तथ अन्यत संबंधित विभागों के साथ नियमित बैठकें करके अपने-अपने राज्योंल मेंयोजना क्रियान्व यन की निगरानी करेंगे और उचित नीति बनाने के लिए कार्यकारी समिति को इनपुट प्रदान करेंगे। 
V. जिला स्तोरीय कार्यकारी समिति परियोजना तैयार करने, लागू करने और जिलों में निगरानी के उद्देश्यस को आगे बढ़ाने के लिए उत्तकरदायी होगी और किसान समूहों/फसल अवशेष नहीं  जलाने के लिए किसानों को सक्रिय बनाने वाले प्रगतिशील किसानों को शामिल करते हुए निगरानी समितियां बनाएगी।
VI. कृषि सहकारिता और किसान कल्यालण विभाग फसल अवशेष के यथास्थािन प्रबंधन के लिए मशीन और उपकरण निर्माताओं का मूल्य  सहित एक पैनल तैयार करेगा।

READ: दिल्ली में क्यों छाई है जहरीली धुंध, जानें वजह और उपाय
पृष्ठकभूमि
2018-19 की बजट घोषणा के अनुसार पंजाब, हरियाणा और उत्ततर प्रदेश की सरकारों तथा राष्ट्री य राजधानी क्षेत्र दिल्ली  की वायु प्रदुषण की समस्या, का समाधान करने तथा फसलों के अवशेषों के यथास्था न प्रबंधन के लिए आवश्ययक मशीनरी पर सब्सिडी के लिए वर्ष 2018-19 से 2019-20 के लिए विशेष नई केंद्रीय क्षेत्र की योजना (100 प्रतिशत केंद्रीय हिस्से8दारी) प्रस्ता9वित है।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download