मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने कृषि क्षेत्र में छतरी योजना ‘हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’को 12वीं पंचवर्षीय योजना से आगे यानी 2017-18 से 2019-20 तक जारी रखने को अपनी स्वीकृति दे दी है। इसमें कुल केंद्रीय हिस्सा 33,269.976 करोड़ रूपये का है।
छतरी योजना में 11 योजनाएं/मिशन शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य समग्र और वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाकर तथा उत्पाद पर बेहतर लाभ सुनिश्चत करके किसानों की आय बढ़ाना है। ये योजनाएं 33,269.976 करोड़ रूपये के व्यय के साथ तीन वित्तीय वर्षों यानी 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए जारी रहेंगी।
छतरी योजनाओं के हिस्से के रूप में निम्नलिखित योजनाएं हैं –
- बागबानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच)
- तिलहन और तेल पाम पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमओओपी) सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम)
- सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए)
- कृषि विस्तार पर उप मिशन (एसएमएई)
- बीज तथा पौध रोपण सामग्री पर उप मिशन
- कृषि मशीनीकरण पर उपमिशन (एसएमएएम)
- पौध संरक्षण और पौधों के अलगाव पर उपमिशन (एसएमपीपीक्यू)
- कृषि गणना, अर्थव्यवस्थाएं तथा सांख्यिकी पर एकीकृत योजना (आईएसएसीईएस)
- कृषि सहयोग पर एकीकृत योजना (आईएसएसी)
- कृषि विपणन पर एकीकृत योजना (आईएसएएम)
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस (एनईजीपी-ए)
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इन योजनाओं/मिशनों का फोकस उत्पादन संरचना सृजन/सुदृढीकरण , उत्पादन लागत में कमी और कृषि तथा संबंद्ध उत्पाद के विपणन पर है। ये योजनाएं/मिशन अलग-अलग अवधि के लिए पिछले कुछ वर्षों से क्रियान्वित की जा रही हैं।
इन सभी योजनाओं/मिशनों को अलग योजना/मिशन के रूप में अवगत कराया गया और स्वतंत्र रूप से स्वीकृत किया गया। वर्ष 207-18 में यह निर्णय लिया गया है कि इन सभी योजनाओं/मिशनों को एक छतरी योजना ‘हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’ के अंतर्गत लाया जाए।