1. प्रधानमंत्री उज्जवला योजना--
- 1 मई 2016 को यूपी के बलिया में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत की गई
- करीब दो करोड़ से ज्यादा LPG सिलेंडर बीपीएल वर्ग की महिलाओं को बांटे गए।
- अगले 3 सालों (2020 तक) में बीपीएल परिवार की महिलाओं को 5 करोड़ नए डिपोजिट फ्री LPG कनेक्शन के लिए 8000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं।
- योजना की शुरुआत के पहले साल (2016-17) में 2.20 करोड़ से ज्यादा नए कनेक्शन दिए गए। अब तक कुल LPG ग्राहकों की संख्या 20 करोड़ के पार हो चुकी है।
- LPG की मांग में बढ़ोतरी दर 10 फीसदी से ज्यादा है। तीन सालों में 4600 नए LPG वितरक जोड़े गए।
- दुनिया की सबसे बड़ी Direct Benefit Transfer Scheme, PAHAL (Pratyaksh Hasthantarit Labh) के तहत 40 हज़ार करोड़ की सब्सिडी ग्राहकों को ट्रांसफर की गई है। पहले दो साल में इसके तहत 21 हज़ार करोड़ की बचत की गई। PAHAL को इसकी सफलता के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में जगह दी गई।
2. 'ऊर्जा गंगा' प्रोजेक्ट---
- 'ऊर्जा गंगा' गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट अक्टूबर 2016 में शुरु किया गया, जिसके तहत दो सालों के अंदर वाराणसी वासियों को पाइप के तहत कुकिंग गैस मुहैया कराना मकसद है।
- अगले कुछ सालों में इस प्रोजेक्ट के तहत झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल वासियों को भी फायदा मिलेगा
- 5 राज्यों में 40 ज़िलें और 2600 गांवों में ऊर्जा की जरूरतों को इस प्रोजेक्ट से पूरा किया जा सकेगा।
- इस प्रोजेक्ट से तीन बड़े फर्टिलाइजर प्लांट्स का पुनरुद्धार, 20 से ज्यादा शहरों में औद्योगिकरण को बढ़ावा और 7 शहरों में शहरी गैस नेटवर्क स्थापित किया जा सकेगा। जिससे बड़ी संख्या में रोजगार भी मुहैया होगा
3. Refining and Production capacity (ऊर्जा परिष्करण और उत्पादन) क्षमता को बढ़ावा-
- ऊर्जा परिष्करण क्षमता में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। 2015-16 के दौरान 'पारादीप रिफाइनरी' की शुरुआत के बाद रिफाइनिंग क्षमता में 15 मिलियन मिट्रिक टन पर एनम (MMTPA) की बढ़ोतरी हुई। इस बढ़ोतरी के साथ रिफाइनिंग क्षमता बढ़कर 230.066 MMTPA हो गया।
- इंडियन स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड (ISPRL) ने 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) की क्षमता के साथ स्ट्रैटजिक क्रूड ऑयल रिजर्व्स तीन अंडरग्राउंड जगहों पर स्थापित किए हैं---विशाखापत्तनम (आंध्रप्रदेश), मैंगलोर (कर्नाटक) और पाडुर (उडुप्पी के नजदीक, कर्नाटक)
- 2015 में सरकार ने डिसकर्व्ड स्मॉल फील्ड पॉलिसी (Discovered Small Field Policy) को भी मंजूरी दी है। इस नीति के तहत ONGC और OIL कंपनियों के द्वारा खोजे गए 69 हाइड्रोकार्बन स्मॉल फील्ड को तेल उत्पादन के लिए तैयार करना मकसद है। ये फील्ड खोजे जाने के बावजूद दूर-दराज की जगह, रिजर्व की छोटी जगहों होना, विकसित करने में ज्यादा खर्च, तकनीकी प्रतिबंधें और लचर व्यवस्था के कारण विकसित नहीं किए जा सके थे। इस नीति से तेल और गैस उत्पादन क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और आयात पर निर्भरता में कमी आएगी।
- Discovered Small Field (DSF) Bid Round 2016 के तहत आर्थिक मामलों पर कैबिनेट कमिटी ने 31 कॉन्ट्रैक्ट एरिया को मंजूरी दी है। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक माइनिंग लीज की तारीख से तीन साल के अंदर फील्ड में उत्पादन शुरु हो जाएगा। इस फील्ड में उत्पादन किए जाने से संबंधित राज्य को आर्थिक फायदा और वहां के लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
- 31 कॉन्ट्रैक्ट क्षेत्र में से पुडुचेरी में स्थित कराईकल (Karaikal) और तमिलनाडु स्थित नेडूवासल (Neduvasal) से करीब 4 लाख 30 हज़ार मीट्रिक टन तेल और गैस का उत्पादन हो सकेगा। हालांकि इससे संबंधित कुछ आशंकाएं मसलन कृषि और ज़मीन की उर्वरता पर प्रभाव, भूजल पर प्रभाव और नैचुरल गैस का प्राथमिक संघटक मिथेन के प्रभाव को लेकर हैं, जिसे दूर करने की कोशिश की जा रही है।
- गुवाहाटी, बोंगाईगांव और नुमालीगढ़ रिफाइनरी के विस्तार को लेकर प्रस्ताव है। साथ ही नुमालीगढ़ में बायो-रिफाइयनरी की स्थापना, नैचुरल गैस के नेटवर्क का विस्तार, POL और LPG पाइलाइन के विस्तार को लेकर प्रस्ताव है।
- हाईड्रोकार्बन विजन डॉक्यूमेंट 2030 के मुताबिक नार्थ ईस्ट में तेल और गैस क्षेत्र में 2030 तक 1.3 लाख करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।
- भारत स्टेज-IV (BS-IV) ऑटो फ्यूल स्टैंडर्ड को पूरे देश में 1 अप्रैल 2017 से लागू कर दिया गया है। साथ ही BS-IV फ्यूल स्टैंडर्ड से सीधे BS-VI फ्यूल स्टैंडर्ड लागू करने का फैसला किया गया है। 1 अप्रैल 2020 से BS-VI फ्यूल स्टैंडर्ड लागू किया जाएगा।
- सरकार ने बजट 2017-18 में ऊर्जा के क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की है।
- जिसमें प्रमुख है-- LNG पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी करना, दो और स्ट्रैटेजिक ऑयल रिजर्व बनाना, तेल क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम को समेकित करते हुए समेकित पब्लिक सेक्टर ‘oil major’ का गठन ताकि ज्यादा निवेश का फैसला, निवेशकों के लिए ज्यादा वैल्यू और आर्थिक तौर पर मजबूत किया जा सके।
साभार : सुमित झा