राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति का मसौदा (draft national digital Communication policy 2018) डिजिटल संचार को लेकर महत्त्वाकांक्षी दृष्टिï सामने रखता है। मसौदे में वर्ष 2022 के लिए निम्नलिखित लक्ष्य तय किए गए हैं:
- सभी के लिए ब्रॉडबैंड का प्रावधान
- डिजिटल संचार के क्षेत्र में 40 लाख अतिरिक्त रोजगारों का सृजन
- देश के जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 8 फीसदी करने का लक्ष्य (वर्ष 2017 में यह 6 फीसदी था)
- सूचना एवं संचार तकनीकी विकास सूचकांक में देश को वर्तमान 134वें स्थान से सुधारकर शीर्ष 50 देशों में शामिल करना और
- डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित करना।
- उपभोक्ताओं की जरूरत को हल करने के लिए एक नए दूरसंचार लोकपाल के गठन और वेब आधारित शिकायत व्यवस्था कायम करने की बात इसमें शामिल है।
- इसके अलावा मसौदे में ब्रॉडबैंड के विस्तार के क्षेत्र में निजी-सार्वजनिक भागीदारी की बात कही गई है।
- नीति में स्पेक्ट्रम और टावर नीतियों में अहम बदलाव का सुझाव दिया गया है ताकि इनका कारोबार आसानी से चल सके। उल्लिखित लक्ष्य जहां प्रश्नों से परे हैं, वहीं यह भी देखा जाना है ये जमीन पर कितने प्रभावी ढंग से उतरते हैं।
Analysis
वर्ष 2012 की दूरसंचार नीति की भी सराहना की गई थी। कहा गया था कि यह दूरदर्शी दस्तावेज है परंतु तब से अब तक इसका दायरा बहुत सीमित रहा है। उदाहरण के लिए सेवा प्रदाताओं को उच्च स्पेक्ट्रम शुल्क और इस क्षेत्र में चल रही कीमतों की जंग के चलते भारी वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ रहा है। सरकार अब तक स्पेक्ट्रम का किफायती आवंटन नहीं कर सकी है और उच्च आरक्षित मूल्य के कारण नीलामी को बहुत ठंडी प्रतिक्रिया मिली है। यह उद्योग कानूनी विवादों में भी उलझा हुआ है। इसने भी इस क्षेत्र की मजबूती और इसके विकास को रोक रखा है। मसौदे में निवेश के रूप में 100 अरब डॉलर की राशि जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। परंतु यह संभव नहीं लगता है क्योंकि फिलहाल तो यह क्षेत्र सालाना 10 अरब डॉलर की राशि भी नहीं जुटा पा रहा। ऐसे में नीति का क्रियान्वयन बहुत अहम रहेगा। उदाहरण के लिए नीति में प्रस्ताव रखा गया है कि स्पेक्ट्रम शुल्क कम करके, सेवाओं, उपकरणों और बुनियादी सुविधाओं पर लगने वाले कर को युक्तियुक्त बनाकर तथा लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान करके लागत कम की जाएगी। बल्कि इन बातों से और अधिक कानूनी मसले सामने आ सकते हैं। जिन सेवा प्रदाताओं ने भारी भरकम राशि की प्रतिबद्घता जताई है वे नए कारोबारियों की राह आसान होने पर आपत्ति जता सकते हैं।
- नए मसौदे में नेट निरपेक्षता पर एक बार फिर जोर दिया गया है। उचित खुलासे के साथ प्रस्तुत डिजिटल विषयवस्तु के साथ कोई भेदभाव न करते हुए पारदर्शिता को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
- वैश्विक मानकों के अनुरूप डेटा सुरक्षा के मानक विकसित करने पर भी जोर दिया गया है। यह सुझाव भी दिया गया है कि उपभोक्ताओं को सुरक्षा के मसले पर जागरूक किया जाए।
- मसौदे में यह भी कहा गया है कि अवरोधक और विश्लेषण व्यवस्था के साथ नई अवरोधक एजेंसी विकसित की जाए।
- इस अनुशंसा का क्रियान्वयन सावधानी से करना होगा ताकि संविधान प्रदत्त निजता के मूल अधिकार को नुकसान न पहुंचे।
- दूरसंचार क्षेत्र बुनियादी क्षेत्र का अहम हिस्सा है। अगर वहां सकारात्मक घटनाएं होती हैं तो वृहद आर्थिक वृद्घि में तेजी आ सकती है। जैसा कि मसौदा नीति में कहा गया है ब्रॉडबैंड की पहुंच में 10 फीसदी का इजाफा जीडीपी में 1 फीसदी बढ़ोतरी कर सकता है। बहरहाल, महत्त्वाकांक्षी दूरगामी दृष्टिï से इतर नई नीति की सफलता या विफलता इस बात पर निर्भर करती है कि यह क्षेत्र को मौजूदा संकट से उबार पाएगी या नहीं।