उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की जवाबदेही अब राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की होगी।
- शुरुआत में एनटीए उन परीक्षाओं का आयोजन करेगी जिनका आयोजन अभी सीबीएसई कर रही है।
- बाद में वह एआईसीटीई और अन्य एजेंसियों द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं की जिम्मेदारी भी संभाल लेगी।
- Reason for Constitution of NTA:इस तरह की एक एजेंसी की मांग काफी पहले से की जा रही थी। दरअसल सीबीएसई का कहना था कि उसके ऊपर पहले से ही बहुत ज्यादा बोझ है। इसी साल उसने नेशनल इलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) कराने से हाथ खड़े कर दिए थे। उसका कहना था कि उसे यह टेस्ट कराने के लिए बेहिसाब रिसॉर्स इस्तेमाल करने पड़ते हैं, जिसके चलते उसका मूल काम बुरी तरह से प्रभावित होता है।
सीबीएसई की कई परीक्षाओं को लेकर हाल में विवाद भी हुए हैं। जाहिर है, एनटीए के गठन से उसे बड़ी राहत मिलेगी। सीबीएसई परीक्षाओं से मुक्त होकर ऐकडेमिक्स पर पूरा ध्यान दे सकेगा जिसमें अभी वक्त के हिसाब से काफी बदलाव की जरूरत है।
- केंद्र ने इसी वर्ष के बजट में एनटीए के गठन की घोषणा की थी। उसने इसके लिए एकमुश्त 25 करोड़ रुपये दिए हैं।
- एनटीए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त एजेंसी होगी जो अपनी खुद की आय से चलेगी। इसका मुखिया किसी शिक्षाविद को बनाया जाएगा। इसमें एक संचालक मंडल भी होगा।
- एजेंसी का मकसद स्टूडेंट्स को बेस्ट परफॉर्म करने का मौका देना है, जिसके लिए साल में 2 बार ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित कराई जाएंगी।
- ग्रामीण छात्रों की सुविधा का ध्यान रखते हुए परीक्षा केंद्र उप जिला और जिला स्तर पर रखे जाएंगे।
- सरकार के अनुसार एनटीए की स्थापना का मूल उद्देश्य गड़बड़ियों पर लगाम लगाना और परीक्षाओं में पारदर्शिता बरकरार रख उनकी गुणवत्ता बनाए रखना है। सच्चाई यह है कि देश की कई एजेसियां आज कठघरे में खड़ी हैं। पेपर लीक से लेकर कई तरह की गड़बड़ियां वे नहीं रोक पाईं। ऐसे में एनटीए को एक ऐसा फुल-फ्रूफ सिस्टम तैयार करना होगा कि किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो। अगर वह अपने कामकाज से छात्रों के बीच अपनी साख कायम कर सकी तो यह उसकी एक उपलब्धि होगी।