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संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में नवजात शिशुओं की मौत के 77 फीसदी मामले दक्षिणी एशिया और उप-सहारीय अफ्रीकी देशों में सामने आए. दुनिया में नवजात शिशुओं की कुल मौतों के आधे मामले भारत, पाकिस्तान, नाइजीरिया, कांगो और इथियोपिया में दर्ज किए गए. इनमें भारत के 24 फीसदी, पाकिस्तान के 10 फीसदी, नाइजीरिया में नौ फीसदी, कांगो में चार और इथियोपिया में तीन फीसदी मामले शामिल थे. यहां नवजात शिशुओं का मतलब जन्म से लेकर 28 दिन तक के बच्चों से है.
- दुनिया में बीते साल नवजात शिशुओं की मौत के कुल मामलों में भारत का हिस्सा 24 फीसदी था.
- ‘बाल मृत्युदर का स्तर और रुझान’ नाम से इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक ने प्रकाशित किया है.
- इसके मुताबिक 2016 में पांच साल से छोटे 56 लाख बच्चों की मौत हुई. यह अब तक का सबसे कम आंकड़ा होने बावजूद 2016 में रोजाना 15 हजार बच्चों ने दम तोड़ा. हालांकि, पांच साल से छोटे दुनिया के एक-तिहाई बच्चों की मौतें भारत और नाइजीरिया में हुईं. दुनिया में पांच साल से कम आयु के बच्चों की 24 फीसदी मौतों के लिए निमोनिया और डायरिया जिम्मेदार थे.
संयुक्त राष्ट्र ने मौजूदा रुझानों के आधार पर 2017 से 2030 के बीच दुनिया में तीन करोड़ नवजात शिशुओं की मौत का अनुमान पेश किया है. रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 80 फीसदी मौतें दक्षिणी एशिया और उप-सहारीय अफ्रीकी देशों में होंगी. इस चुनौती को देखते हुए यूनिसेफ में स्वास्थ्य प्रमुख स्टेफन स्वार्टलिंग पीटरसन ने कहा है कि जब तक बच्चों को उनके जन्म के दिन और उसके बाद के दिनों मरने से बचाने के लिए कदम नहीं उठाया जाता है, सारी प्रगति अधूरी बनी रहेगी. उनका यह भी कहना था कि बच्चों को जिंदा रखने के लिए ज्ञान और तकनीक उपलब्ध है, बस उन्हें आवश्यकता वाली जगहों पर पहुंचाने की जरूरत है.