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Indian Women
एक तरफ आधे से ज्यादा महिलाएं अनेमिया यानी खून की कमी से पीड़ित हैं, दूसरी तरफ 22 फीसदी महिलाएं बीमारी की हद तक मोटापे का शिकार हैं। साल 2017 की ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट ने इस तथ्य को उजागर करते हुए बताया है कि दुनिया में 15 से 49 साल की उम्र सीमा में सबसे ज्यादा अनीमिक महिलाएं भारत में ही हैं। इस रिपोर्ट की खासियत यह है कि यह पिछले साल मई महीने में जिनीवा में हुई वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में तय किए गए लक्ष्यों के बाद आई है और उनकी रोशनी में 140 देशों के हालात का जायजा लेती है।
- भारत की स्थिति ज्यादा चिंताजनक इसलिए मानी जा रही है क्योंकि लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के बजाय यहां पीछे की तरफ गति देखी जा रही है।
- पिछले साल की रिपोर्ट में यहां अनीमिक महिलाओं का प्रतिशत 48 था जो इस बार 51 हो गया है। इस मामले में सरकारी प्रयासों पर बारीकी से नजर रखनेवालों ने ठीक ही गौर किया है कि सरकार महिलाओं में कुपोषण की समस्या को पहचानने तो लगी है, लेकिन इसे संबोधित नहीं कर पा रही है। अगर सरकार कुछ कारगर प्रयास कर पाती तो हालात पहले के मुकाबले और बदतर तो न होते।
ध्यान देने की बात है कि बच्चों में कुपोषण की समस्या भी इससे जुड़ी हुई है। महिलाओं के शरीर में खून की कमी जहां प्रसव के दौरान उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है, वहीं गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी यह बड़े नुकसान का कारण बनती है। ऐसे बच्चे जन्म से ही कमजोर और कई तरह की बीमारियों से पीड़ित होते हैं और बाद में प्रतिरोध क्षमता की कमी के चलते विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। अपने देश में शिक्षा व जागरूकता की कमी के अलावा परिवार को खुद से ज्यादा अहमियत देनेवाली सोच को भी इस समस्या के कारणों के रूप में चिह्नित किया जाता रहा है, लेकिन गरीबी और अभावों के बीच पलता जीवन ही इसके मूल में है। जाहिर है, समस्या का स्थायी हल चाहिए तो आर्थिक और सामाजिक विषमता को सरकार के अजेंडे पर लाना होगा