देश की हर चौथी महिला घरेलू हिंसा की शिकार: नैशनल फैमिली हेल्थ सर्व


मंत्रालय द्वारा कराये गये नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण 2015-16 के आंकड़ों को हाल ही में जारी किया गया. इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में पाया गया कि देश में महिलाओं को अपने न्यूनतम अधिकारों के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है.
नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 में चिंता और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. केंद्र सरकार यह सर्वेक्षण देश में महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं को दिशा देने के लिए आयोजित करती है.
शारीरिक संबंधों से जुड़े तथ्य
    सर्वेक्षण के अनुसार अभी भी लगभग हर दूसरी लड़की की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो रही है, जबकि परिवार की मर्जी के कारण 10 प्रतिशत लड़कियों को 13 वर्ष की आयु में शादी कर जबरन शारीरिक संबंध बनाने पड़ते हैं.
    रिपोर्ट के अनुसार पहली बार सेक्स करने की औसत उम्र महिलाओं में 19.1 है. रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ सालों में इस मोर्चे पर थोड़ा सुधार हुआ है लेकिन अभी भी हालत बहुत चिंताजनक है.
    शादी के उपरांत 70 प्रतिशत महिलाओं को अपनी मर्जी के बिना, अपने पति के कहे अनुसार सेक्स के लिए मजबूर होना पड़ता है.
    सेक्स समस्याओं को लेकर 70 प्रतिशत महिलाओं को ही अपने पति एवं परिवार से मारपीट का सामना करना पड़ता है.
घरेलू हिंसा से संबंधित तथ्य 
    नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण का सबसे हैरान करने वाला तथ्य यह है कि महिलाएं मानती हैं कि पतियों का उन्हें मारना ठीक है.
    लगभग 52 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वह पति की मार खाती हैं तो 42 फीसदी पुरुष मानते हैं कि वह सही करते हैं.
    पत्नी को पीटने के दो सबसे प्रमुख कारण हैं - ससुराल के लोगों की बातों को न मानना और सेक्स के लिए इनकार करना. 
    रिपोर्ट के अनुसार देश में हर चौथी महिला घरेलू हिंसा की शिकार हो रही है.
    सर्वे के अनुसार हर दूसरी औरत को अपनी पसंद के अनुसार दूसरे पुरुष से बात करने का अधिकार नहीं है.
    लगभग 48 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उनके व्यवहार पर उनके पतियों का नियंत्रण है.
    जबकि 59 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें घर से अकेले निकलने का अधिकार नहीं है. 
    इससे भी चौंकाने वाला तथ्य इसमें यह था कि जितना समृद्ध परिवार, यह ट्रेंड उतना ही बढ़ा पाया गया.
    आर्थिक स्थिति से संबंधित आंकड़े
    सर्वेक्षण रिपोर्ट में पाया गया कि महिलाओं को अपने द्वारा ही कमाए हुए धन पर अधिकार नहीं मिलता.
     सर्वे में शामिल 55 प्रतिशत महिलाओं ने यह माना कि उन्हें अपने ही कमाए पैसे का खर्च करने या इस पर हक जताने का अधिकार नहीं है. यह आंकड़ा पिछले सर्वेक्षण में 52 प्रतिशत था.
    आर्थिक मोर्चे पर महिलाओं की स्थिति और कमज़ोर हुई है जबकि नौकरीशुदा महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

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