समय से पहले जवान हो रहे बच्चे खुद के भविष्य के लिए घातक

School and Family has an important role to play in nourishing and upbringing of the child but failing social institutions negatively affecting our system and proved to be costly in long run.


#Dainik_Jagran
असमय जवान हो रहे बच्चे खुद के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। कोई पुलिस या सरकार इस पर कानून बनाकर नियमन नहीं लगा सकती। सबसे जरूरी है कि हम अपने बच्चों की परवरिश के लिए कैसे अच्छा माहौल पैदा करें? घर का आंगन बच्चों की पहली पाठशाला है, यह सबलोग जानते-मानते हैं। लेकिन, यही पाठशाला आज खो गई है।


    कामकाजी दबाव में अभिभावक अपने बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। विद्यालय में पाठ्यक्रमों की भीड़ में नैतिक मूल्य का अध्याय कहीं खो गया है। 
    Example: ताजा उदाहरण बोकारो का है, जहां एक किशोर ने दूसरे किशोर की हत्या एक दिन पूर्व केवल इस बात पर कर दी कि साथी किशोर ने उसे मोबाइल नहीं दिया। बहुत वीभत्स तरीके से मार कर चेहरे पर एसिड डाल दिया ताकि उसकी पहचान नहीं हो सके और मोबाइल को खेत में गाड़ दिया। भला हो पुलिस का जो तह तक पहुंच गई और यह खुलासा हो सका कि हत्या के पीछे स्मार्ट फोन की चाहत थी। गला घोंटकर हत्या करने के बाद शव की पहचान मिटाने चेहरे पर एसिड डालने से मुंह का अधिकतर हिस्सा गल गया था। यह साबित करता है कि एक किशोर अपने साथी की हत्या के समय क्रूरता की किस हद को पार कर रहा था।


नीतेश विनोद बिहारी महतो सरस्वती विद्या मंदिर, गुंजरडीह की सातवीं कक्षा का छात्र था। 12 जनवरी की रात से ही वह लापता था। पिता ने स्थानीय थाने में उसकी गुमशुदगी का सनहा दर्ज कराया था। इसी बिना पर छानबीन हुई और हत्यारोपी साथी के गिरेबान तक पुलिस का हाथ पहुंचा। कई घरों में अभिभावक खुद ही बच्चों के हाथ में महंगे मोबाइल दे दे रहे हैं। मोबाइल स्टेटस सिंबल का उपकरण बन गया है। बोकारो के जिस तारमी गांव के स्कूली छात्र नीतेश की हत्या हुई, उसके अभिभावक भी उसे महंगा स्मार्ट फोन दे चुके थे। स्मार्ट फोन की दुनिया आभासी है। किशोर मन उसमें कुलांचे मारता है। इंटरनेट के सस्ते और कुछ फ्र्री पैक ने उत्प्रेरक का काम किया है। विज्ञान के वरदान बनाम अभिशाप के उत्स को हमें समझना होगा। एक जिम्मेदार माता-पिता की भूमिका निभानी होगी, तभी नीतेश जैसे किशोर की हत्या नहीं हो सकेगी और किसी किशोर मन को हिंसक होने से बचाया जा सकेगा। इस काम की शुरुआत घर से ही हो सकती है। न्यूक्लियर फैमिली के मौजूदा दौर में हर मां-बाप को अपनी संतान के लिए नैतिक बोध की पाठशाला घर में चलानी होगी


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