ग्रामीण विकास से मिटेगी भूख

To check migration we need to focus on development of villages and for that employment generation capability of these centres.

#Amar_Ujala

Increasing migration sream in India

आप्रवासन की बढ़ती हुई चुनौती वैश्विक स्तर पर आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक नीतियों को आकार देने के लिहाज से महत्वपूर्ण निर्धारक है। भले ही प्रवास आर्थिक एवं सांस्कृतिक लाभ का स्रोत रहा है, लेकिन हाल के वैश्विक रुझान खाद्य सुरक्षा के अभाव और संघर्षों के कारण विस्थापन को मजबूर आबादी के उपहास का संकेत करते हैं। प्रवासियों का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से आता है, जहां दुनिया की 75 फीसदी से ज्यादा आबादी गरीब है और आजीविका के लिए कृषि एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर होने के कारण खाद्य असुरक्षा का शिकार है। यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने इस वर्ष विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर (जो 16 अक्तूबर को मनाया जाता है) नारा दिया है-‘प्रवासियों का भविष्य बदलें, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास में निवेश करें।’
Migration towards Cities

शहरी केंद्रों की तरफ प्रवास एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है, जो निकट भविष्य में खाद्य सुरक्षा और पोषण को स्वरूप प्रदान करेगा। हमारे यहां शहरी आबादी में वार्षिक परिवर्तन की दर वैश्विक औसत से अधिक है, जो आंतरिक प्रवास की तीव्र गति का संकेत करता है। अनुमान है कि वर्ष 2050 तक भारत की पचास फीसदी से ज्यादा आबादी शहरी क्षेत्रों में निवास करेगी। वैश्विक स्तर पर तीन देश-चीन, भारत और नाइजीरिया- में शहरी आबादी में 2050 तक नब्बे करोड़ की बढ़ोतरी होगी। चूंकि भारत में मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में प्रवास होता है, इसलिए भविष्य में हमें कृषि विकास और वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शहरी क्षेत्रों के विस्तार के तरीकों को प्रबंधित करना होगा।

Food security & Agriculture

खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए कृषि उत्पादन महत्वपूर्ण है, क्योंकि करीब 99 फीसदी खाद्य की आपूर्ति कृषि से होती है। दूसरी तरफ कृषि पहले से ही पर्यावरणीय क्षरण, जलवायु परिवर्तन एवं गैर-कृषि गतिविधियों में भूमि के उपयोग के कारण संकट की स्थिति में है। इसके अलावा प्रवासन के कारण आबादी के केंद्रों में बदलाव ने कुपोषण को तीन तरह से बढ़ा दिया है-भूख का सह अस्तित्व (आहार ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए अपर्याप्त कैलोरी का सेवन), कम पोषण (मैक्रो और सूक्ष्म पोषक तत्वों का लंबे समय तक अपर्याप्त सेवन) और अधिक वजन या मोटापे के रूप में अति पोषण। शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास करने वाले लोगों को पोषक आहार, पर्याप्त रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, आवास और पेयजल व स्वच्छता संबंधी सुविधाएं हासिल करने की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह न केवल लोगों को आजीविका संबंधित सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के सामने चुनौतियां प्रस्तुत करता है, बल्कि खाद्य एवं पोषण सुरक्षा से संबंधित चुनौतियां भी पेश करता है।

लेकिन प्रवासन का परिणाम खाद्य सुरक्षा, टिकाऊ कृषि और ग्रामीण विकास के लिए खुला अवसर भी प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, मानव पूंजी और कृषि श्रम में होने वाले नुकसान से फसल उत्पादन और खाद्य उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ठीक इसी समय शहरी केंद्रों की मांग पूरी करने के लिए पारंपरिक खाद्य मूल्य शृंखला भी बदली जा रही हैं। कृषि वस्तुओं के बढ़ते व्यावसायिक प्रवाह, आहार परिवर्तन और शहरी खाद्य पदार्थों की मांग की पूर्ति के लिए व्यावसायिक बाजारों के विकास से खाद्य मूल्य शृंखलाएं विकसित हो रही हैं। आधुनिक निवेश वस्तुओं और सूचना एवं जनसंचार प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रयोग तथा ग्रामीण उत्पादकों का समृद्ध शहरी उपभोक्ताओं से जुड़ाव इन बदलते रुझानों के महत्वपूर्ण पहलू हैं।

Solution: Checking rising migration

  • प्रवासन के मुद्दे का स्थायी समाधान ग्रामीण-शहरी आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने, खासकर महिलाओं एवं युवाओं के लिए ग्रामीण रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने और उनमें विविधता लाने, सामाजिक सुरक्षा के माध्यम से गरीबों को जोखिम से बेहतर ढंग से निपटने में सक्षम बनाने, ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश के लिए धन देने, ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका में सुधार और प्रवासन के संकट को कम करने के लिए व्यावहारिक साधन के रूप में निवेश के लिए धन भेजने पर केंद्रित होना चाहिए।
  • टिकाऊ कृषि और ग्रामीण विकास हमें गरीबी, भूख, असमानता, बेरोजगारी, पर्यावरण क्षरण और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रवास के मूल कारणों से निपटने के लिए रास्ता सुझाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषक संस्थानों और सरकारों के साथ साझेदारी करने में उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा है, और उन्हें कृषि एवं ग्रामीण विकास से संबंधित परियोजना तैयार करने में मदद कर रहा है, जो देश के ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश लाने, प्रौद्योगिकी एवं ज्ञान साझा करने में सहयोग करता है। समय के साथ कृषि क्षेत्र में निरंतर कार्यरत आबादी को भी बदलती प्रौद्योगिकी एवं बाजारों के अनुकूल बनाना होगा। जैसा कि व्यापक रूप से प्रदर्शित किया गया है, प्रौद्योगिकी खेती के संकट को कम कर सकती है और किसानों को बाजार की जरूरतों के अनुकूल बनने में मदद कर सकती है।
  • इसलिए यह आवश्यक है कि कृषि कार्य में लगे लोगों की कौशल विशेषज्ञता पर ध्यान केंद्रित करके उनकी आय एवं उत्पादकता बढ़ाई जाए। कृषि संबंधी कौशल विशेषज्ञता के लिए उत्पादन एवं उत्पादन के बाद, दोनों चरणों में कचरे को कम करने और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए भंडारण, पैकेजिंग और परिवहन आदि पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है
  •  छोटे और सीमांत किसानों की मुश्किलों के साथ एक बड़ी युवा आबादी के पलायन और उनके वंशानुगत पेशे को नहीं अपनाने के कारणों को समझना कठिन नहीं है। जब तक कृषि का संकट कम नहीं होता, स्वास्थ्य व पोषण के साथ-साथ अन्य बुनियादी ढांचे से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं होता, संकटों और विवेकपूर्ण विकल्प नहीं होने के कारण प्रवासन होता रहेगा

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