This article discusses problem of isolation and how it affecting elders.
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आज समाज में बुजुर्ग अक्सर स्वयं को ऐसी स्थितियों में पाते हैं जहां वे अकेले होते हैं। यूं तो यह सच्चाई दुनिया भर के समाजों की है किंतु पहली बार एक राजनेता ने तनहाई की त्रासदी पर गंभीर अध्ययन और सर्वेक्षण किया। वह इस नतीजे पर पहुंचीं कि तनहाई व्यक्ति को हर महीने साढ़े चार सौ सिगरेट पीने के बराबर नुकसान पहुंचाती है।
Research in Britain
ब्रिटेन की युवा सांसद जो. काक्स की अगुवाई वाले तनहाई कमीशन की रिपोर्ट अकेलेपन के खतरों को आगाह करने वाला वह दस्तावेज है, जिसने ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे को तनहाई मंत्रालय स्थापित करने और दुनिया में पहली बार अकेलेपन पर गंभीरतम सरकारी पहल के लिए बाध्य किया।
दरअसल, ब्रिटेन में 90 लाख से अधिक लोग तनहाई का शिकार हैं। ब्रिटिश रेडक्रॉस सोसायटी के अनुसार बुजुर्ग ही नहीं, विकलांग और 17 से 25 साल के युवाओं, प्रवासियों और शरणार्थियों में तनहाई की प्रवृत्ति उल्लेखनीय है। प्रधानमंत्री थेरेसा ने ट्रेसी क्राउच को अकेलेपन की व्याधि से ब्रिटिश समाज को मुक्त कराने के अभियान की कमान सौंपी है।
India & Problem of Isolation
अकेलापन भारत में भी एक दुखद वास्तविकता है। परिवार में सदियों पुरानी परंपराएं टूट रही हैं।
मुंबई की एक पॉश सोसायटी में रहने वाली आशा साहनी के तनहाई और गुमनामी में जीते हुए कंकाल में बदल जाने की घटना बमुश्किल छह महीने पुरानी है। आशा के जीवन की इकलौती आस, उनका बेटा यूएस में इंजीनियर है। लोखंडवाला की पॉश सोसायटी में मौत की खामोशी वाले घर में वापसी से पूर्व एक साल तक उसकी अपनी मां से बात भी नहीं हुई थी। आशा साहनी की अकेलेपन में हुई मौत चेताती है कि भारतीय समाज की स्थिति ब्रिटेन से कहीं ज्यादा त्रासद हो सकती है क्योंकि यहां तो मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों की सलाह एक दुष्कर कार्य है।
2017 में एजवेल फाउंडेशन की रिपोर्ट में कहा गया था कि अकेलेपन और रिश्तों की उदासीनता से 43 प्रतिशत बुजुर्ग मनोवैज्ञानिक समस्याओं के शिकार थे। ऐसे समाज में मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रानिक डिवाइस के आभासी जगत में सोशल मीडिया को वास्तविक जीवन से अधिक तरजीह मिल रही है।
घर-नाते के लोगों से मिलने-मिलाने, दोस्तों को गर्मजोशी से गले लगाने और किसी कारण से दुखी व निराश लोगों के दुख बांटने की जगह फेसबुक का लाइक बटन सुख का ‘खुल जा सिमसिम’ कोड बना हुआ है।
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