भ्रूण लिंग परीक्षण: गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994

सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद देश में लिंगानुपात लगातार घट रहा है। हमारे देश में प्रति एक हजार लड़कों पर सिर्फ 940 लड़कियां हैं। अगर भ्रूण हत्या और लड़कियों के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों पर रोक नहीं लगाई गई तो निकट भविष्य में लिंगानुपात में अंतर और भी भयानक रूप ले सकता है। भारत में भ्रूण हत्या और प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण गैर कानूनी है और इसमें दंड का प्रावधान भी है। कड़े कानून के बावजूद लिंग परीक्षण के कई मामले सामने आते रहते हैं।

गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994

1. गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के तहत गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्‍म से पहले कन्‍या भ्रूण हत्‍या के लिए लिंग परीक्षण करना गुनाह है।

2. भ्रूण परीक्षण के लिए सहयोग देना व विज्ञापन करना कानूनी अपराध है। इसके तहत 3 से 5 साल तक की जेल व 10 हजार से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

3. गर्भवती स्त्री का जबर्दस्ती गर्भपात कराना अपराध है। ऐसा करने पर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।

4. धारा 313 के तहत गर्भवती महिला की मर्जी के बिना गर्भपात करवाने वाले को आजीवन कारावास या जुर्माने से भी दण्डित किया जा सकता है।

5. धारा 314 के तहत गर्भपात करने के मकसद से किये गए कार्यों से अगर महिला की मौत हो जाती है तो दस साल की कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

6. आईपीसी की धारा 315 के तहत शिशु को जीवित पैदा होने से रोकने या जन्म के बाद उसकी मृत्यु मकसद से किया गया कार्य अपराध होता है, ऐसा करने वाले को दस साल की सजा या जुर्माना दोनों हो सकता है।

वास्तव में कन्या भ्रूण हत्या के लिए कानून से ज्यादा समाज जिम्मेदार है। हमारे देश की अजीब विडम्बना है कि सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी समाज में यह घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी ने अल्ट्रासाउन्ड तकनीकी के द्वारा भ्रूण-परिक्षण की जानकारी देकर कन्या- भ्रूण हत्या को और व्यापक बना दिया है।

21वीं सदी में इस तरह की बातें कचोटती हैं। हम किस दुनिया में जी रहे हैं। एक ओर जहां बेटियां देश व परिवार का नाम रोशन कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है। समाज की सोच है कि बुढ़ापे में बेटा काम आता है। क्या इससे इत्तेफाक रखना चाहिए। अगर ऐसा है तो जितने भी बृद्धाश्रम खुले हैं फिर तो उतने नहीं खुलने चाहिए थे। 

कड़वा सच ये भी

 - एक रिपोर्ट में सामने आया था कि हरियाणा में सेक्स रेशियो इतना कम हो गया था कि यहां लोग शादी करने के लिए लड़कियों को खरीदते थे और बच्चे पैदा करके उन्हें आगे बेच दिया करते थे। यूनाईटेड नेशंस आफिस आन ड्रग्स एंड क्राईम (यूएनओडीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक जबरन शादी और बंधुआ मजदूरी के लिए हरियाणा में नॉर्थ ईस्ट की लड़कियों को लाने का प्रचलन हो गया था। हरियाणा में करनाल, मेवात, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, जींद, यमुनानगर और हिसार जिले को उत्तर पूर्वी राज्यों से तस्करी द्वारा लड़कियों को लाने का प्रमुख स्थान माना जाता था। 

हरियाणा के लगभग सभी गांवों में 50 से ज्यादा महिलाएं तस्करी के माध्यम से लाकर यहां दुल्हन बनाई गईं। असल में प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या के चलते हालात ये पैदा हो गए हैं कि बड़ी संख्या में लड़कों की शादी की डेट एक्सपायर हो रही होती है और रिश्ता लेकर कोई आता नहीं है, ऐसे में 20 से लेकर 50 हजार रुपए खर्च करने पर उन्हें पत्नी मिल जाती है।

बेटियां नहीं है किसी से कम

एक तरफ जहां देश में लड़कियों की कोख में ही कब्र बना दी जाती है वहीं दूसरी तरफ लड़कियों ने मिसालें भी पेश की हैं कि वो किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं है। उदाहरण के तौर पर मानुषी छिल्लर, फोगाट सिस्टर्स, साक्षी मलिक, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, कल्पना चावला, पीवी सिंधु, मेरिकॉम ये वो नाम हैं जिन्होंने न सिर्फ देश का बल्कि अपने परिवार का भी नाम रोशन किया है। वैसे अगर देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी कैबिनेट में महिलाओं को तवज्जो दी है। उनकी कैबिनेट में 7 महिला मंत्री हैं। यही नहीं कुछ महिलाओं के पास बेहद अहम मंत्रालय हैं। हाल ही में पीएम मोदी ने देश को पहली महिला रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के रूप में दी। 

महिलाओं पर अत्याचार, कन्या भ्रूण हत्या, आर्थिक लाभ के लिए महिलाओं के अभद्र प्रदर्शन का दुरुपयोग एक साधारण बात है। प्राचीन काल के भारत में महिलाओं का बहुत सम्मान किया जाता था। परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया महिलाओं की स्थिति में भीषण बदलाव आया। महिलाओं के प्रति लोगों की सोच बदलने लगी थी। क्या कभी इस बात का अंदाजा लगाया है कि महिलाओं को लेकर जिस तरह के हालात बन रहे हैं और यही सब चलता रहा तो आने वाले दिनों में क्या हाल होगा। जिस हिसाब से लिंगानुपात घट रहा है उस हिसाब से आने वाले दिनों में सिर्फ पुरुष ही पुरुष देखने को मिलेंगे। 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download