भारत में नवजात बच्चों की स्थिति पर यूनीसेफ की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। इसमें सबसे खराब स्थिति में पाकिस्तान भले दिखे, भारत कोई बहुत बेहतर स्थिति में नहीं है।
भारत उन दस देशों में है, जहां नवजात बच्चों की सबसे ज्यादा चिंता करने की जरूरत है। रिपोर्ट चौंकाती है कि लाख जतन के बावजूद नवजात शिशु मृत्यु-दर के मामले में हम बहुत कुछ नहीं कर सके हैं और आज भी बांग्लादेश, इथियोपिया, गिनी-बिसाऊ, इंडोनेशिया, माली, नाइजीरिया, पाकिस्तान और तंजानिया के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं, जिनके बारे में रिपोर्ट बहुत मुखर है कि नवजात का जीवन सुरक्षित करने के लिए सबसे ज्यादा चिंता करने की जरूरत इन्हीं को है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सबसे ज्यादा जोखिम वाला देश है, जहां प्रति 22 नवजात में से एक अपना पहला महीना पूरा करने से पहले ही दम तोड़ देता है, जबकि भारत में यह संख्या प्रति हजार पर 26 है, यानी थोड़ा बेहतर। आश्चर्यजनक रूप से बांग्लादेश, नेपाल और भूटान भी इस मामले में हमसे बेहतर हैं। नवजात शिशुओं के लिए सबसे सुरक्षित जापान है, जहां प्रति एक हजार में यह दर एक से भी नीचे है।
तथ्य यह है कि हमारे यहां जितनी महिलाएं हर रोज बच्चा पैदा करने के दौरान मरती हैं, उससे कहीं ज्यादा गर्भ संबंधी बीमारियों का शिकार होती हैं, जिसका दंश उनके साथ लंबे समय तक चलता है। अगली जचकी में भी इसका असर पड़ता है और फिर यह सिलसिला चलता जाता है। इससे निजात सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में आमूल बदलाव से ही संभव है। 2030 तक नवजात मृत्यु-दर का आंकड़ा 12 पर समेटने का लक्ष्य भी शायद तभी पूरा हो सकेगा। एक चिंताजनक पहलू इस तालिका में भी बालिका शिशु मृत्यु-दर का अधिक होना है, जिसके लिए सामाजिक ताने-बाने का बारीक अध्ययन कर समाधान तलाशने की जरूरत है।
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