खाप पंचायत :-
जब भी गाँव, जाति, गोत्र, परिवार की 'इज़्ज़त' के नाम पर होने वाली हत्याओं की बात होती है तो जाति पंचायत या खाप पंचायत का ज़िक्र बार-बार होता है.
खाप का अर्थ - खाप एक सामाजिक प्रशासन की पद्धति है जो भारत के कई राज्यों में विस्थापित है। इनमें मुख्य रूप से हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों में प्राचीन काल से ही प्रचलित है।
- खाप शब्द का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि खाप दो शब्दों से मिलकर बना है। ये शब्द हैं ख और आप...इनमें ख का मतलब है आकाश और आप का अर्थ है पानी। कहने का मतलब एक ऐसा संगठन दो आकाश की तरह सर्वोपरि हो और पानी की तरह स्वच्छ हो।
- इसके साथ ही सभी लोगों के लिए उपलब्ध हो यानि न्यायकारी हो। लेकिन आज के जमाने में इसके अर्थ का अनर्थ कर दिया गया है।
दुसरे शब्दों में -
- खाप एक सोशल-एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम है। एक गोत्र या जाति के लोग मिलकर एक खाप-पंचायत बनाते हैं, जो पांच या उससे ज्यादा गांवों की होती है।
- इन्हें कानूनी मान्यता नहीं है। इसके बावजूद गांव में किसी तरह की घटना के बाद खाप कानून से ऊपर उठ कर फैसला करती हैं।
- खाप पंचायतें देश के कुछ राज्यों के गांवों में काफी लंबे वक्त से काम करती रही हैं। हालांकि, इनमें हरियाणा की खाप पंचायतें कुछ अलग पहचान रखती हैं।
खाप पंचायतें इस तरह करती हैं काम
एक गोत्र या फिर बिरादरी के सभी गोत्र मिलकर खाप पंचायत बनाते हैं। ये फिर पांच गावों की हो सकती है या 20-25 गांवों की भी हो सकती है। मेहम बहुत बड़ी खाप पंचायत और ऐसी और भी पंचायतें हैं। जो गोत्र जिस इलाके में ज्यादा प्रभावशाली होता है, उसी का उस खाप पंचायत में ज्यादा दबदबा होता है। कम जनसंख्या वाले गोत्र भी पंचायत में शामिल होते हैं लेकिन प्रभावशाली गोत्र की ही खाप पंचायत में चलती है।
सभी गांव निवासियों को बैठक में बुलाया जाता है, चाहे वे आएं या न आएं...और जो भी फैसला लिया जाता है उसे सर्वसम्मति से लिया गया फैसला बताया जाता है और ये सभी के पत्थर की लकीर मान ली जाती है।