- स्त्री अस्मिता का अपमान
- मातृत्व के महिमामंडन और महिला श्रम शक्ति को आगे बढ़ाने की बात करने वाले देश में यह अमानवीयता की हद ही कही जाएगी कि महाराष्ट्र के बीड जिले में गन्ने के खेत में काम करने वाली सैकड़ों महिलाओं के गर्भाशय निकाल लिए गए हैं। गन्ना काटने वाली इन महिला मजदूरों के गर्भाशय प्राइवेट डॉक्टरों ने बड़ी संख्या में और बहुत छोटी बीमारी में भी निकलवा दिए हैं।
- आजीविका के लिए महाराष्ट्र की इन महिलाओं को अपनी कोख खोनी पड़ी है। अफसोस कि इनमें से कई महिला मजदूरों की अज्ञानता का फायदा उठाकर उनके गर्भाशय निकाले गए हैं, ताकि वे लगातार गन्ने की कटाई का काम कर सकें और माहवारी के चलते उनके काम में ढिलाई न आए।
- बहुत कम उम्र में ही यह ऑपरेशन करवाने की वजह से इन महिलाओं को भविष्य में पीठ में दर्द और कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा भी शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियां उन्हें घेरने लगती हैं। गर्भाशय निकाले जाने के बाद होने वाले हार्मोन असंतुलन से वे अवसाद और तनाव की शिकार हो जाती हैं। हार्मोन के असंतुलन संबंधित तकलीफें महिलाओं के मन की सेहत पर बेहद बुरा प्रभाव डालती हैं। इतना ही नहीं गर्भाशय निकलवाने के बाद महिलाओं को स्वस्थ होने में भी काफी समय लगता है, जबकि गरीब परिवारों से आने वाली इन महिलाओं को न तो आराम करने का समय मिलता है और ना सही पोषण।