- गर्दन के नीचे लकवाग्रस्त शरीर वाले लोग अब एक खास तकनीक से वे मरीज अगले 20 साल में दौड़ने लगेंगे।
क्या है डिवाइस
- रेडियो ब्रेन बॉक्स डिवाइस : स्विटजरलैंड वाइज सेंटर फॉर बॉयो एंड न्यूरो इंजीनियरिंग के डायरेक्टर प्रोफेसर जॉन डोनोग ने रेडियो ब्रेन बॉक्स डिवाइस नामक एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो अन्य उपकरणों की मदद से लकवे के मरीज को सामान्य जीवन जीने में सक्षम कर देगी।
क्या है टेक्नीक
- यह डिवाइस मस्तिष्क के संकेतों को कंप्यूटर या रोबोटिक आर्म को भेजेगी। वहां संकेत डिकोड होंगे। संकेत को पहचानकर रोबोटिक आर्म उसपर प्रतिक्रिया करेगी। जैसे अगर मरीज को पानी पीना होगा तो मेज पर रखे गिलास को रोबोटिक आर्म तक पहुंचाएगी।
- न्यूरो कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी नामक खास तकनीक लकवाग्रस्त मरीज के शरीर के अंदर लगाई जाएगी। रेडियो ब्रेन बॉक्स के जरिये मस्तिष्क के संकेत रिसीवर तक जाएंगे। फिर रिसीवर उन्हें पहचानकर प्रोसेसर को भेजेगा। वहां से यह संकेत नर्व स्टीमुलेटर नामक डिवाइस में जाएंगे जो हाथ और पैर में होगी। यह डिवाइस उन संकेतों को नसों को भेजेगी। करीब बीस साल के समय में यह तकनीक मरीज के अंगों को पूरी तरह सक्रिय कर देगी।
लकवाग्रस्त मरीज क्यों नही कर पाते movement
जब व्यक्ति किसी कार्य को करने का विचार करता है तो उसके मस्तिष्क में तंत्रिका संबंधी संकेत प्रवाहित होते हैं। चूंकि लकवाग्रस्त मरीजों की रीड़ की हड्डी निष्क्रिय होती है। इसलिए यह संदेश उनके संबंधित अंगों तक नहीं पहुंच पाते हैं।