वस्‍तु और सेवा कर ने खोले भारत के विदेश व्‍यापार के नये आयाम

पिछले कुछ वर्षों में विश् व्यापार की विकास दर के कमजोर रहने से विश् अर्थव्यवस्था में लगातार कमजोरी दिखाई दे रही है, मगर विदेश व्यापार के मामले में भारत का कार्यनिष्पादन, तिजारती माल और सेवा दोनों ही क्षेत्रों में लगातार सकारात्मक रुझान प्रदर्शित कर रहा है.

  • भारत के निर्यात प्रयासों में जबरदस् योगदान करने वाले सूक्ष्, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) का योगदान और भी बढ़ रहा है जिससे अनगिनत कुशल और अर्धकुशल कर्मियों को रोजगार के अवसर मिलते हैं. इसके अलावा उनके उत्पाद-पोर्टफोलियो में भी और अधिक विविधता आई हैं. देश के निवल निर्यात व्यापार में एमएसएमईज का योगदान 2013-14 में 42.42 प्रतिशत से बढ़कर 2014-15 में 44.76 प्रतिशत हो गया और 2015-16 में यह 49.86 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है.
  • सरकार की सक्रिय सहयोग की नीति का जिनकी वजह से संरक्षणवादी प्रतिबंधों और सदा बदलते रहने वाले मानकों के रूप में गैर-शुल् बाधाओं तथा अन् मानव स्वास्थ्य पादप स्वास्थ् संबंधी अड़ंगों की वजह से व्यापार के मोर्चे की चुनौतियों के बावजूद भारत का निर्यात सराहनीय रहा है.
  • इसकी पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि देश के निर्यात में पिछले नौ महीनों में सकारात्मक वृद्धि दिखाई दे रही है..

Services

  • सेवाओं का व्यापार, जिसमें विश् व्यापार संगठन की ताजा रैंकिंग के अनुसार भारत प्रमुख निर्यातक के रूप में आठवें स्थान पर है, 2016 में 161 अरब अमेरिकी डालर का रहा और विश् के कुल व्यापार में भारत का हिस्सा 3.4 प्रतिशत का रहा.
  • सेवाओं के आयात के लिहाज से भी भारत प्रमुख आयातक है और उसका दुनिया में 10वां स्थान है. 2016 में भारत ने 133 अरब डालर लागत की सेवाओं का आयात कर सेवाओं के वैश्विक आयात में 2.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी निभाई. इस तरह सेवाओं के आयात में भारत के पास 28 अरब डालर का व्यापार अधिशेष है. यह भी एक तथ् है कि पिछले तीन साल में सकल मूल् संवर्धन में सेवाओं का हिस्सा 2014-15 में 51.8 प्रतिशत से 2016-17 में 53.7 प्रतिशत के स्तर पर कायम रहा है. इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि भारत ने विश् व्यापार संगठन मेंसेवाओं में व्यापार सुविधा के लिए पहल के बारे में अवधारणा-पत्रप्रस्तुत किया ताकि डब्ल्युटीओ के सदस् देशों में इस मुद्दे पर बहस शुरू हो और सेवाओं के निर्यातक के रूप में भारत प्रतिस्पर्धात्मक रूप से लाभ की जिस स्थिति में है उसका सकारात्मक फायदा उठाया जा सके.

Government steps to increase services

सेवाओं के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बहु आयामी और समग्र रणनीति अपनायी है

  • इसके अंतर्गत बहुपक्षीय, बहुआयामी और द्विपक्षीय व्यापार सौदों के जरिए सार्थक बाजार पहुंच के बारे में बातचीत, वैश्विक मेलों/प्रदर्शनियों में भागीदारी के जरिए व्यापार संवर्धन तथा विशिष् बाजारों क्षेत्रों के लिए सुनिश्चित रणनीतियों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है.
  •  इसके अलावा भारत से सेवाओं के निर्यात की योजना (एसईआईएस) के तहत वित्तीय फायदे और प्रोत्साहन भी दिये जा रहे हैं. कुल मिलाकर माल और सेवाओं, दोनों ही के मामले में देश ने हाल के महीनों में व्यापारिक संरक्षणवाद और सेवाओं के निर्यात में धनी देशों द्वारा खड़ी की गयी बाधाओं और माल सेवा दोनों की वैश्विक विकास दर में मंदी जैसी प्रतिकूल बाहरी परिदृश् के बावजूद अपनी रफ्तार बनाए रखी है.

सरकार द्वारा 1 अप्रैल, 2015 को शुरू की गयी नयी विदेश व्यापार नीति (FTP) में विनिर्माण और सेवा दोनों ही क्षेत्रों के निर्यात को बढ़ावा देने और इनके व्यापार को सुगम बनाने पर जोर दिया गया है. एफटीपी 2015 की मुख् विशेषताओं में अन् बातों के अलावा शामिल हैं: भारत से सामान के निर्यात की योजना, भारत से सेवाओं के निर्यात की योजना, सीमा शुल्, उत्पाद शुल् और सेवा कर की अदायगी के लिए शुल् साखपत्रों को नि:शुल् परिवर्तनीय बनाया जाना, आदि.

सरकार ने डब्ल्युटीओ के व्यापार सुविधा समझौते (टीएफए) का अनुमोदन कर दिया है ताकि समय के साथ-साथ भारत के साथ विदेश व्यापार करना आसान और बाधामुक् हो जाए. मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में व्यापार सुविधा के बारे में एक राष्ट्रीय समिति गठित की गयी है जो सीमा प्रबंधन को आसान बनाने की प्रक्रिया तय करने और पारदर्शिता के नये उपायों को अपनाने की दिशा में कदम उठाएगी. इस तरह के तमाम कदमों से आयात-निर्यात संबंधी लेन-देन की लागत में कमी आएगी और देश की सीमाओं के आर-पार माल का सुचारु रूप से आवागमन संभव हो सकेगा. कुल मिलाकर भारत का विदेश व्यापार बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है और अभी उठाए जा रहे महत्वपूर्ण कदमों के बहुत जल् अच्छे नतीजे आने पर एक स्पष् तस्वीर उभर कर सामने आएगी

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download