- राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) समिति ने 6 साल के मध्यावधि राजकोषीय खाके के तहत इसके आखिर में 2022-23 तक
- राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत,
- राजस्व घाटा 0.8 प्रतिशत और
- केंद्र राज्य का संयुक्त कर्ज सीमा 60 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।
- अगर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ये सिफारिशें और ऋण प्रबंधन और राजकोषीय दायित्व विधेयक के मसौदे की अन्य सिफारिशें स्वीकार कर लेती है तो यह मौजूदा एफआरबीएम ऐक्ट की जगह ले लेगा।
- राजकोषीय खाके के दायरे में नीति निर्माताओं को लचीलापन मुहैया कराने के लक्ष्य से पूर्व सांसद और राजस्व एवं व्यय सचिव एनके सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने 2017-18 से लेकर 2019-20 तक तीन साल के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले 3 प्रतिशत तक राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखे जाने की सिफारिश की है।
- समिति की रिपोर्ट इस साल जनवरी में सरकार को सौंप दी गई थी लेकिन इसे आज सार्वजनिक किया गया। समिति ने 2020-21 में राजकोषीय घाटा 2.8 प्रतिशत और फिर 2022-23 तक इसे घटाकर 2.5 प्रतिशत करने की सिफारिश की है।
राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को छोड़ा जा सकता है -
- समिति ने उन परिस्थितियों का भी जिक्र किया है जिनमें इन लक्ष्यों को छोड़ा जा सकता है। समिति ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष खतरा होने, युद्ध की स्थिति आने, राष्ट्रीय स्तर की कोई आपदा या फिर खेती बर्बाद होने जिसका कृषि उत्पादन पर गंभीर असर पड़े, इन परिस्थितियों में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को छोड़ा जा सकता है।
- समिति ने यह भी कहा है कि अर्थव्यवस्था में दूरगामी परिणाम वाले ढांचागत सुधारों को लागू करने जिसमें राजकोषीय प्रभावों का पहले से आकलन नहीं किया जा सकता हो, ऐसी स्थिति में भी राजकोषीय लक्ष्य अनुपालन के रास्ते से हटा जा सकता है।
- हालांकि, समिति ने इसके साथ ही आगाह भी किया है कि किसी एक वर्ष में राजकोषीय घाटा उस वर्ष के लिए तय लक्ष्य के मुकाबले 0.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढऩा चाहिए।
- एफआरबीएम समिति ने राजस्व घाटे के लक्ष्य में भी धीरे धीरे हर साल 0.25 प्रतिशत कटौती किए जाने की सिफारिश की है। समिति ने चार खंडों की अपनी रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष के दौरान राजस्व घाटे को कम करके जीडीपी के 2.05 प्रतिशत पर लाने, अगले वित्त वर्ष में उसे घटाकर 1.8 प्रतिशत करने और 2019-20 में और घटाकर 1.55 प्रतिशत पर लाने का सुझाव दिया है।
- समिति ने कहा है कि 2022-23 तक राजस्व घाटे को कम करके 0.8 प्रतिशत पर लाया जाना चाहिए।