- भारत पहली बार अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के दस सबसे बड़े सदस्य देशों में शामिल होगा। यह रुतबा आईएमएफ के लंबे समय से लटके कोटा सुधारों के लागू होने की वजह से हासिल होने जा रहा है।
- इस नई व्यवस्था के बाद भारत ही नहीं, अन्य उभरते देशों का भी मुद्राकोष में वोटिंग अधिकार बढ़ेगा।
** फिलहाल भारत को 188 सदस्यों वाले मुद्राकोष में 2.34 फीसद मताधिकार प्राप्त है। जबकि कोटे के मामले में उसकी हिस्सेदारी 2.44 फीसद है। अब इन दोनों में वृद्धि हो जाएगी।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की तरफ से जारी बयान के मुताबिक चीन, ब्राजील और रूस शीर्ष दस मताधिकार वाले देशों में शामिल हो रहे हैं। इन सभी का कोटा और वोटिंग अधिकार बढ़ जाएगा।
- इसके उलट कुल कोटे में विकसित देशों का छह फीसद कोटा विकासशील मुल्कों को दिया गया है।
- विकसित यूरोपीय देश मुद्राकोष के बोर्ड में अपने दो सदस्य कम करने पर भी राजी हो गए हैं। टॉप 10 में अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और ब्रिटेन पहले से ही मौजूद हैं।
=>अमेरिकी अड़ंगे से अटके थे सुधार
- मुख्य रूप से अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों के दबदबे वाले आईएमएफ में सुधार की मांग लंबे समय से चल रही थी।
- वर्ष 2010 में इस आशय का एक प्रस्ताव भी पेश हुआ, लेकिन सबसे अधिक मताधिकार और कोटे वाले देश अमेरिका की संसद से मंजूरी नहीं मिलने के कारण यह सुधार लागू नहीं हो पा रहा था।
- बीते साल ही अमेरिकी संसद ने इन कोटा सुधारों को हरी झंडी दी है। 14वीं सामान्य कोटा समीक्षा के नाम से चर्चित इन सुधारों को मुद्राकोष के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने दिसंबर, 2010 में मंजूरी दी थी।
- मुद्राकोष में कोटे के आधार पर ही वोटिंग का अधिकार भी तय होता है। इसका मतलब यह हुआ कि जिसका जितना ज्यादा कोटा होगा, मुद्राकोष के फैसले लेते समय उसकी उतनी ही सुनी जाएगी।
=>आईएमएफ का बड़ा होगा कोष :-
- इन सुधारों के लागू होने से आईएमएफ के प्रशासन व स्थायी पूंजी में ऐतिहासिक और दूरगामी बदलाव का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
- इससे मुद्राकोष की विश्वसनीयता व प्रभावशीलता में वृद्धि होगी। उसकी स्थायी पूंजी दोगुनी हो जाएगी। यह बढ़कर 477 अरब एसडीआर (लगभग 659 अरब डॉलर) पर पहुंच जाएगी। इससे आपात स्थितियों से निपटने के लिए मुद्राकोष के पास पहले के मुकाबले बड़ा कोष उपलब्ध होगा।
=>बेहतर होगा प्रदर्शन
- आईएमएफ के मुताबिक, पहली बार इसके सभी कार्यकारी निदेशक चुने हुए होंगे। इसके साथ ही नियुक्त किए जाने वाले कार्यकारी निदेशकों की श्रेणी खत्म हो जाएगी।
- पहले इनकी नियुक्ति पांच सबसे बड़े सदस्य देश करते थे। प्रशासनिक सुधारों के कारण अब आईएमएफ बोर्ड का प्रदर्शन पहले से बेहतर होने की उम्मीद है।
- इन सुधारों से यह सुनिश्चित होगा कि मुद्राकोष तेजी से बदलते ग्लोबल माहौल में अपने सदस्यों की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर सके। मुद्राकोष के प्रशासन में सुधार के प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।