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Defense production scenario in country
देश, रक्षा निर्माण की दिशा में तेजी से 'आगे बढ़' रहा है। यह दावा सच के मोर्चे पर चाहे जहां खड़ा हो लेकिन आशावादी अवश्य है। यह सत्य है कि मोदी ने हमेशा रक्षा विनिर्माण के स्वदेशीकरण को लेकर प्रतिबद्घता जताई है। वर्ष 2014 के चुनाव घोषणापत्र में रक्षा नीति को दोबारा तैयार करने की वकालत की गई थी। इसके अलावा रक्षा खरीद के पुनर्गठन और देश को रक्षा विनिर्माण का केंद्र बनाने की बात शामिल थी। वर्ष 2015 के आरंभ में प्रधानमंत्री ने बेंगलूरु में अंतरराष्ट्रीय श्रोताओं के समक्ष कहा था कि देश के हथियारों में 60 फीसदी अब भी आयात होते हैं। उन्होंने कहा कि देसी रक्षा विनिर्माण को 40 से बढ़ाकर 70 फीसदी करने से देश का रक्षा उत्पादन दोगुना हो जाएगा। इसके बावजूद आज तक देश का रक्षा आयात 60 फीसदी से अधिक ही है।
Some facts
- गत 17 मार्च को रक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि वर्ष 2015-16 के दौरान 65.62 प्रतिशत सैन्य खरीद देसी स्रोतों से की गई।
- उसने यह भी कहा कि इससे पहले के तीन वर्षों में 82,980 करोड़ रुपये मूल्य के 94 पूंजीगत क्रय अनुबंध भारतीय वेंडरों के साथ किए गए। जबकि 53,684 करोड़ रुपये मूल्य के 56 अनुबंध विदेशी वेंडरों के साथ किए गए।
- यहां देसी घटक 60 फीसदी से अधिक है। लेकिन यह उत्तर इस बात को व्यक्त नहीं करता कि तथाकथित देसी प्लेटफॉर्म में विदेशी घटक कितना है।
- सुखोई-30एमकेआई और तेजस लड़ाकू विमान, ध्रुव हेलीकॉप्टर और डोर्नियर-228 विमान देसी माने जाते हैं लेकिन संसद की रक्षा मामलों की स्थायी समिति के मुताबिक ये 40 से 60 फीसदी आयातित हैं। इसी तरह भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने 2015-16 में इस्तेमाल के लिए 44 फीसदी सामग्री आयात की। वहीं भारत अर्थ मूवर्स ने 21.68 फीसदी आयात किया और अन्य सरकारी रक्षा प्रतिष्ठïानों और आयुध फैक्टरियों में भी कम लेकिन अहम भागीदारी आयातित सामग्री की है।