गंगा के मैदानी क्षेत्रों के बासमती को मिला जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GII

- चेन्नई स्थित बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड को यह जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) पेटेंट देने का अधिकार है।

- इसका लाभ गंगा के मैदानी क्षेत्र में पैदा होने वाले बासमती को मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती चावल की उत्कृष्टता बनी रहेगी, जिससे अच्छी कीमत मिलेगी।

*** दुनिया का कोई देश अब बासमती के नाम से अपना चावल बाजार में नहीं बेच सकेगा।

-०-० अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 85 फीसदी बाजार पर भारतीय बासमती का कब्जा है जबकि मात्र 15 फीसद पाकिस्तान निर्यात करता है।

जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) क्या है?geographical indicator

- जीआई एक चिह्न है, जिसका उपयोग ऐसे उत्पादों पर होता है, जिनका उद्गम किसी क्षेत्र विशेष में होता है।

- यह एक प्रकार का बौद्दिक सम्पदा अधिकार है जिसे पेटेंट प्राधिकरण द्वारा प्रदत्त किया जाता है।

- यह क्षेत्र विशेष के विशिष्ट उत्पाद के लिए दिया जाता है। इस नाम का उपयोग कोई और संस्था या क्षेत्र द्वारा नही किया जा सकता।

- उदहारण : चंदेरी की साड़ी , बनारसी साड़ी , तिरुपति का लड्डू , कांचीवरम की साड़ी , दार्जिलिंग की चाय। कुछ GI नीचे संलग्न चित्र में दर्शाए गए हैं ... उनको भी देख लीजियेगा एक बार।
 

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