संरचना :
- वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संबंधी विवादों के निपटारे के लिए तीन सदस्यीय जीएसटी अपीलीय ट्रिब्यूनल बनेगा। सरकार केंद्रीय जीएसटी कानून के तहत जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन करेगी।
- इसकी तर्ज पर राज्यों में भी इसी प्रकार के ट्रिब्यूनल बनेंगे।
अध्यक्ष :- जीएसटी ट्रिब्यूनल की राष्ट्रीय पीठ का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के किसी न्यायाधीश या किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ही बनाया जा सकेगा।
- साथ ही इसकी नियुक्ति भी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद करनी होगी।
- राज्य पीठ का अध्यक्ष उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश, उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता रखने वाले जिला न्यायाधीश और अवर सचिव स्तरीय पद पर तीन साल तक तैनात रहने वाले भारतीय विधि सेवा के सदस्य की नियुक्ति की जा सकेगी।
- राज्य पीठ के अध्यक्ष की नियुक्ति भी राज्य सरकारों को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद करनी होगी।
- अपीलीय ट्रिब्यूनल की एक राष्ट्रीय पीठ होगी जो राष्ट्रीय राजधानी में होगी जबकि सरकार जरूरत के हिसाब से इसकी प्रादेशिक पीठ भी बनाएगी।
- इस पीठ में अध्यक्ष के अलावा दो तकनीकी सदस्य भी होंगे, जिनमें से एक की नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी जबकि दूसरे की नियुक्त राज्य सरकार करेगी। वहीं राज्य स्तर पर भी जीएसटी ट्रिब्यूनल की दो तरह की पीठ होंगी।
- राज्य पीठ में भी दो तकनीकी सदस्य होंगे जिसमें एक केंद्र से होगा जबकि दूसरा राज्य से।
फिलहाल केंद्रीय उत्पाद, सीमा शुल्क और सेवा कर के मामलों को निपटाने के लिए जो ट्रिब्यूनल होता है, उसमें राज्यों के प्रतिनिधि नहीं होते हैं।
- हालांकि जीएसटी केंद्र और राज्यों में एक समान कर होगा, इसलिए इसके मामलों के निपटान के लिए केंद्र और राज्यों में बनने वाले ट्रिब्यूनल में दोनों के ही तकनीकी सदस्य शामिल होंगे।
कार्य और कार्यक्षेत्र :-
- राष्ट्रीय पीठ और प्रादेशिक पीठ जहां 'आपूर्ति के स्थान' से संबंधित विवादों को सुनेंगी वहीं राज्य और क्षेत्रीय पीठ अन्य मामलों को सुनेंगी।
- अपीलीय प्राधिकरण के फैसले से असंतुष्ट व्यक्ति तीन माह के भीतर ट्रिब्यूनल के पास अपील कर सकेगा। हालांकि अपीलकर्ता पर कर बकाया है तो उसे अपीलीय प्राधिकरण द्वारा निर्धारित की गयी कर देयता का कम से कम 20 प्रतिशत राशि अग्र्रिम भरनी होगी तभी उसकी अपील स्वीकार की जाएगी।