- खेत की सेहत
किसानों की सबसे बड़ी मुश्किल खेती की बढ़ती लागत है, जिसे घटाकर ही इसे लाभ में तब्दील किया जाना संभव है। इनपुट लागत में कटौती के लिए ही पहला प्रयास खेत की सेहत से शुरू किया गया है। हर किसान के हाथ तक ‘स्वायल हेल्थ कार्ड’ पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है। खेत की मिट्टी जांच से उसमें डाली जाने वाली जरूरी खाद का पता चलेगा। इससे अंधाधुंध खाद व कीटनाशकों के प्रयोग पर पाबंदी लगेगी। मिट्टी की जांच के हिसाब से खेती करने से लागत घटाने में पर्याप्त मदद मिलेगी। अगले चार सालों में देश के सभी साढ़े तेरह करोड़ किसानों के हाथ में अपने-अपने खेतों का रिपोर्ट कार्ड होगा।
=>हर फसल को पानी:-
देश की दो तिहाई खेती आज भी ऊपर वाले के भरोसे है। 60 फीसद से अधिक खेती बारिश पर आधारित है। कृषि के लिए इसे अति संभावना वाला क्षेत्र मानते हुए ‘पर ड्राप मोर क्राप’ का नारा दिया प्रधानमंत्री । कई दशक पहले केंद्र सरकार ने सिंचाई परियोजनाओं से अपना हाथ पीछे खींचते हुए इसका दायित्व राज्यों के ऊपर छोड़ दिया था जो कृषि क्षेत्र पर बहुत भारी पड़ा।
=>उपज का लाभकारी मूल्य:-
किसानों की सबसे बड़ी चुनौती उसे अपनी उपज को बेचने को लेकर पैदा होती है। मंडी कानून और कई तरह की कर व्यवस्था के मकड़जाल में उलझने की वजह से उसे उचित कीमत तो दूर लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है। जबकि बाजार में वही उत्पाद काफी महंगा बिकता है। सरकार ने इस समस्या पर ध्यान दिया है। सरकार की नजर में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने वाली प्रणाली ठीक नहीं है। उसमें पर्याप्त संशोधन करने की जरूरत है। मंडी कानून में बदलाव के लिए भी गुलाटी कमेटी का गठन किया गया है।
=>कृषि आमदनी बीमा:-
आपदा राहत के पुराने मानक में अपेक्षित संशोधन कर सरकार ने किसानों की मुश्किलों में उनकी खुलकर मदद की। इतना ही नहीं, इस तरह की आम समस्या के निदान के लिए पुख्ता बंदोबस्त की तैयारियां तेजी की जा रही हैं। खेती व बागवानी को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पहले से ही जैसे तैसे की तर्ज पर चल रही फसल बीमा योजना में आमूलचूल संशोधन किया गया है। बीमा योजना में किसानों की समूची आय का बीमा किया जाएगा। किसानों के हित को ध्यान में रखकर इसमें कई अहम प्रावधान किये जा रहे हैैं।
=>आपदाओं से राहत
आपदाओं की मार झेलते-झेलते बेचारा बन चुके किसानों के आंसू पोंछने और उन्हें भावनात्मक संबल देने के मामले में सरकार ने कदम उठाए है। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि जैसी आपदाओं के बाद किसानों को राहत बांटने का निर्देश राज्यों को दिया। नतीजा यह हुआ कि राज्यों के शासन- प्रशासन के हरकत में आने से पहले ही केंद्र ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली।
=>किसान जागरूकता
कृषि क्षेत्र में होने वाले अनुसंधान को खेतों तक पहुंचाने और उसका उपयोग करने की नीति के तहत कारगर पहल की गई है। सरकार ने इसके लिए एक अलग ‘किसान चैनल’ लांच किया है, जिसकी पहुंच दूरदराज के किसानों तक रहेगी। साथ ही देश के सभी जिलों में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्रों को पूरी तरह सक्रिय किया जा रहा है। ब्लॉक स्तर तक पहुंच बनाने के लिए भी योजना तैयार है।
=>किसानों की आय वृद्धि
किसानों की आर्थिक दशा सुधारने के लिए सरकार का जोर खेती के साथ बाड़ी और उससे जुड़े अन्य व्यवसाय पर भी है। पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन, पोल्ट्री और बागवानी से किसानों में हाथ में नगदी रहेगी। खेती से संबद्ध इन सभी व्यवसायों के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की है, जो काफी लोकप्रिय हो रही हैं। जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए योजना चालू की गई है। ऐसी खेती में जहां लागत कम लगेगी, वहीं इसकी उपज को बाजार में बहुत अच्छी कीमत मिलेगी।