- मुद्रा बैंक का उद्देश्य छोटे उद्यमों को आसान दरों पर 10 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध करवाना तथा सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं पर नियंत्रण एवं उनका विकास है, जिससे अंतत: देश की उत्पादकता में वृद्धि होगी और रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन होगा।
- वित्त वर्ष 2015-16 के बजट भाषण में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 20,000 करोड़ रुपये की राशि तथा 3,000 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी राशि के साथ एक सूक्ष्म इकाई विकास पुनर्वित्त एजेंसी (मुद्रा) बैंक (The Micro Units Development and Refinance Agency, known as the MUDRA Bank) के सृजन का प्रस्ताव रखा था।
- मुद्रा बैंक की स्थापना वैधानिक संस्था के तौर पर हुई है। मुद्रा बैंक को संसद के एक अधिनियम के तहत स्थापित किया जाना है पर इस संबंध में कानून बनने तक इसे भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की इकाई के रूप में चलाया जाएगा। यह एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के तौर पर काम करेगी।
=>मुद्रा का लक्ष्य
-> आर्थिक वृद्धि और समावेशी विकास के तहत युवाओं, शिक्षितों या कुशल श्रमिकों और महिला उद्यमियों समेत सभी छोटे उद्यमियों को दस लाख रुपये तक का कर्ज प्रदान करना। 2013 के एनएसएसओ सर्वे के अनुसार, 5.77 करोड़ लघु व्यवसाय इकाइयां हैं जो विनिर्माण, व्यापार या सेवा गतिविधियों का संचालन करती हैं और लगभग 12 करोङ लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। इन इकाइयों की सबसे बड़ी बाधा वित्तीय सहयोग की कमी है। इन लघु इकाइयों को संस्थागत वित्त की सुविधाएं मुहैया कराने से न केवल इन उद्यमियों का जीवन स्तर बेहतर होगा, बल्कि जीडीपी में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार का सृजन भी होगा।
-> प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत आसानी से ऋण मुहैया कराने के लिए जिन मुख्य क्षेत्रों की पहचान की गई है, वे हैं- ट्रांसपोर्ट सेवा,सामुदायिक, सामाजिक और वैयक्तिक सेवाएं, खाद्य उत्पाद और टेक्सटाइल उत्पाद तथा सूक्ष्म ऋण योजनाएं।
-> मुद्रा का मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत सूक्ष्म व्यवसायों एवं इकाइयों को ऋण देने के लिए पुनर्वित्तीयकरण है। इसके अन्तर्गत तीन ऋण योजनाओं ‘शिशु’, ‘किशोर’ और ‘तरुण’ की शुरुआत की गई है।
1. शिशु : 50,000 रुपये तक का ऋण शामिल
2. किशोर : 50,000 रुपये से ऊपर तथा 5 लाख रुपये तक का ऋण शामिल
3. तरुण : 5 लाख रुपये से ऊपर तथा 10 लाख रुपये तक का ऋण शामिल
-> विनिर्माण, व्यापार एवं सेवा गतिविधियों से जुड़े सूक्ष्म/ लघु व्यवसाय इकाइयों को ऋण प्रदान करने वाले सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFI)के जरिये विकास एवं पुनर्वित्त के लिए मुद्रा जबावदेह होगा।
-> मुद्रा लघु/सूक्ष्म व्यवसाय उपक्रमों के स्थानीय वित्तदाताओं को वित्त मुहैया कराने के लिए राज्य/ क्षेत्रीय स्तर के समन्वयकों के साथ साझीदारी भी करेगा।
-> मुद्रा का गठन न केवल बैंक सुविधा विहिन लोगों को वित्त की सुविधाएं बढ़ाने में मददगार होगा बल्कि यह अनौपचारिक, सूक्ष्म/ लघु उद्यम क्षेत्र को स्थानीय वित्तदाताओं के वित्त की लागत को कम करने में भी सहायक साबित होगा। इसका उद्देश्य केवल ऋण के दृष्टिकोण से आगे बढ़कर देशभर में फैले इन उपक्रमों के लिए ऋण जमा समाधान तथा एक पूर्ण वित्तीय प्रणाली प्रस्तुत करना है।
-> मुद्रा बैंक की ब्याज दर वाणिज्यिक बैंक से कम होगी।
=>मुद्रा का कार्यक्षेत्र :-
✓ सूक्ष्म उपक्रम वित्तपोषण व्यवसायों के लिए नीतिगत दिशानिर्देश निर्धारित करना।
✓ एमएफआई इकाइयों का पंजीकरण।
✓ एमएफआई इकाइयों का प्रमाणन/ मूल्यांकन।
✓ कर्जधारिता से मुक्ति पाने के लिए जिम्मेदार वित्तपोषण प्रचलनों का निर्धारण तथा उचित ग्राहक सुरक्षा सिद्धांतों और वसूली की पद्धतियां सुनिश्चित करना।
✓ सूक्ष्म उपक्रमों को ऋण देने वाले स्थानीय वित्तदाताओं को प्रशासित करने के लिए एक मानक नियम पत्रों के समूह का विकास।
✓ सभी के लिए सही प्रौद्योगिकी समाधानों को बढ़ावा देना।
✓ सूक्ष्म उपक्रमों को कर्ज देने वाले ऋणों/विभागों को गारंटी मुहैया करने के लिए एक ऋण गारंटी योजना का निर्माण एवं संचालन।
✓ क्षेत्र में विकास एवं प्रवर्तन गतिविधियों का समर्थन।
✓ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत सूक्ष्म व्यवसायों को स्थानीय ऋण आपूर्ति की एक अच्छी संरचना का सृजन।
=>प्रस्तावित पेशकश:-
✓ ✓ वित्तीय साक्षरता को समर्थन
✓ ✓ जमीनी स्तर के संस्थानों को समर्थन एवं संवर्द्धन
✓ ✓‘ लघु व्यवसाय वित्त इकाइयों’के लिए संरचना का सृजन
✓ ✓ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ समन्वय
✓ ✓ राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के साथ समन्वय
✓ ✓ ऋण ब्यूरो के साथ काम करना
✓ ✓ साख निर्धारण एजेंसियों के साथ काम करना
भविष्य के लिए इन पेशकशों की परिकल्पना की गई है:
- मुद्रा कार्ड
- पोर्टफोलियो ऋण गारंटी
- ऋण बढोत्तरी