सरकार ने अपने कार्यकाल के सबसे अहम आर्थिक सुधारों को लागू करने का फैसला कर लिया है। प्रधानमंत्री की अगुआई में हुई अहम बैठक में सिविल एविएशन, रक्षा, सिंगल ब्रांड रिटेल, फार्मा तथा ब्रॉडकास्टिंग समेत नौ उद्योगों में विदेशी निवेश के नियमों को आसान कर दिया गया है। इस फैसले के बाद देश के अधिकतर औद्योगिक क्षेत्रों में अब कम-से-कम रोकटोक से विदेशी निवेश हो सकेगा। एक नजर इस फैसले से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर :-
- रक्षा क्षेत्र में अब ये जरूरी नहीं होगा कि भारत में कारखाना लगा रही कंपनियां अपनी आधुनिक तकनीक भारत को दें।
- आधुनिक तथा अति-उच्च तकनीक आधारित उद्यम लगाने वाली सिंगल ब्रांड कंपनियों को स्थानीय इकाइयों से न्यूनतम खरीदारी करने की शर्त में छूट भी बढ़ा दी गई है।
- यह निर्णय खासकर अमेरिकी मोबाइल कंपनी एप्पल के लिए अहम है। एप्पल ने स्थानीय स्रोतों से न्यूनतम 30 फीसदी खरीदारी की शर्त में छूट के लिए अर्जी दी थी।
- इसी तरह जो विदेशी दवा कंपनियां भारत में अपनी इकाई लगाएंगी, उन्हें ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसदी निवेश की इजाजत होगी।
- जो विदेशी कंपनियां भारतीय इकाइयों को खरीदना चाहेंगी, वे सरकारी मंजूरी के रास्ते 100 फीसदी निवेश कर सकेंगी।
- इन फैसलों से भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार को उच्च स्तर पर बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
- हालांकि इससे देश में रोजगार पैदा करने तथा बुनियादी ढांचे में सुधार में कितनी मदद मिलेगी, यह बड़ा सवाल है।
- अति-उच्च टेक्नोलॉजी वाली कंपनियों की उत्पादन प्रक्रिया अधिक-से-अधिक स्वचालित तकनीक आधारित होती गई है, जहां बड़ी संख्या में कर्मियों की जरूरत नहीं पड़ती।
=>परिप्रेक्ष्य :-
Background:- सरकार ने देश में विदेशी पूंजी की आमद बढ़ाने के लिए कई बड़े फैसले किए। मसलन, एयरपोर्ट के नए प्रोजेक्ट, शिड्यूल्ड एयरलाइंस और रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे दी गई है।
- एफडीआई के नए नियमों के तहत रक्षा और शिड्यूल्ड एयरलाइन्स सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट से केवल 49 फीसदी एफडीआई की मंजूरी होगी। इससे ज्यादा विदेशी निवेश के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
- फर्मा सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट से 74 फीसदी एफडीआई की इजाजत दे दी गई है। इसके अलावा ई-कॉमर्स और फूड सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई को हरी झंडी दे दी गई है। संगल ब्रांड रिटेल सोर्सिंग के नियमों में भी ढील दी गई है। केबल नेटवर्क, डीटीएच और मोबाइल टीवी में ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दे दी गई है।
- एएफडीआई के नियमों में ढील के बाद अब डिफेंस ऑफिस, टेलीकॉम ऑफिस और ब्रॉडकास्ट ऑफिस के लिए रिजर्व बैंक की मंजूरी नहीं लेनी होगी।
कई ऐसे क्षेत्रों में ऑटोमैटिक तरीके से निवेश की इजाजत दी गई है जिसे राजनीतिक व आर्थिक रूप से काफी संवेदनशील माना जाता रहा है। मसलन, घरेलू एयर ट्रांसपोर्ट सेवा व पैसेंजर एयरलाइंस में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसद से बढ़ाकर 100 फीसद की गई है। इसमें 49 फीसद निवेश ऑटोमैटिक रास्ते से होगा।
- इसके बाद की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकारी मंजूरी लेनी होगी। देश के मौजूदा हवाई अड्डों में एफडीआइ की सीमा बढ़ाकर 100 फीसद की गई है। सिंगल ब्रांड रिटेल चेन स्थापित करने वाली विदेशी कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए उनके लिए स्थानीय स्तर पर 30 फीसद उत्पाद लेने की अनिवार्यता को तीन वर्षों के लिए समाप्त किया गया है।
कंपनी भारत में यदि बेहद आधुनिक उत्पाद बेचना चाहती है तो उसके लिए पांच वर्षों की छूट दी गई है। इससे भारत में स्टोर खोलने की मंशा रखने वाली एप्पल को काफी लाभ होगा। एप्पल के सीईओ टिम कुक कुछ हफ्ते पहले ही भारत आए थे और स्थानीय सोर्स की बाध्यता को बड़ी अड़चन बताकर गए थे।
और कई अहम फैसले
- भारत सरकार ने एक अन्य अहम फैसले के तहत भारत में तैयार होने वाले सभी तरह के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में ई-कॉमर्स के जरिये तैयार खाद्यान्नों के व्यापार आदि में एफडीआइ की सीमा ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसद कर दी है।
- रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेशकों के लिए निवेश की परिभाषा बदली गई है। अब हर तरह की विदेशी रक्षा कंपनियां यहां निवेश कर सकेंगी। छोटे हथियार व गोला-बारूद बनाने वाली कंपनियों के लिए भी एफडीआइ सीमा लागू की गई है।
- टेलीपोर्ट्स, केबल नेटवर्क, डायरेक्ट-टू-होम, मोबाइल टीवी, स्काई ब्रॉडकास्टिंग सर्विस में भी सौ फीसद एफडीआइ की छूट दे दी गई है।
=>फार्मा क्षेत्र में भी खोला रास्ता
- देश की मौजूदा दवा कंपनियों में एफडीआइ की सीमा 74 फीसद तक ऑटोमैटिक तरीके से करने की इजाजत दी गई है।
- इसके बाद 100 फीसद तक के लिए सरकार से मंजूरी की अनिवार्यता पहले से ही लागू है।
- देश में निजी सुरक्षा एजेंसी चलाने वाली कंपनियों में विदेशी निवेशकों को 74 फीसद तक हिस्सेदारी बढ़ाने की इजाजत दी गई है। 49 फीसद ऑटोमैटिक रूट से जबकि इसके बाद सरकारी मंजूरी के साथ।
=>ब्रांच खोलने के नियम आसान :-
- सरकार ने "ईज आफ डूइंग बिजनेस" के नारे को आगे बढ़ाते हुए रक्षा, टेलीकॉम, प्राइवेट सिक्योरिटी व सूचना-प्रसारण से जुड़ी विदेशी कंपनियों के लिए यहां ब्रांच खोलने के नियम को आसान कर दिया है।
- देश में अच्छी क्वालिटी के पशुधन को बढ़ावा देने के लिए पशुओं के प्रजनन में दुनिया की बड़ी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए 100 फीसद तक निवेश की इजाजत दी गई है, वह भी स्वचालित रास्ते से।
=>तैयार होंगे रोजगार के नए अवसर
इन फैसलों से देश में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में गति आएगी जो देश में रोजगार के नए अवसर पैदा करने में बेहद सहयोगी होगा। सरकार ने हर क्षेत्र का अध्ययन करने के बाद ये फैसले किए हैं।
=>FDI अनुमति के लाभ :-
- ये सभी बड़े और कारोबार क्षेत्र का रूपांतर कर देने वाले फैसले हैं। जिस समय
- ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने की आशंका,
- देरसबेर अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने की संभावना और
- अपने देश में अल्पकालिक बॉन्ड्स के मैच्योर होने पर बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा के भारत से बाहर जाने की चर्चा आम है, इन फैसलों से भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार को उच्च स्तर पर बनाए रखने में मदद मिल सकती है। -
=>विरोध का कारण / समस्याएं :-
- इससे देश में रोजगार पैदा करने तथा बुनियादी ढांचे में सुधार में कितनी मदद मिलेगी, यह बड़ा सवाल है।
- अति-उच्च टेक्नोलॉजी वाली कंपनियों की उत्पादन प्रक्रिया अधिक-से-अधिक स्वचालित तकनीक आधारित होती गई है, जहां बड़ी संख्या में कर्मियों की जरूरत नहीं पड़ती।
- फिर तकनीक साझा करने तथा स्थानीय स्रोतों से खरीदारी की शर्तों में छूट देने का फैसला विवादास्पद हो सकता है।
- अतीत में रक्षा एवं दूरसंचार क्षेत्रों में विदेशी निवेश को लेकर देश में संदेह का माहौल रहा है। इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती माना गया है।