केंद्र सरकार वित्त वर्ष की मौजूदा अवधि में बदलाव करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। यानी वह वित्त वर्ष जनवरी में शुरू करके दिसंबर में समाप्त करना चाहती है। अभी सरकार का वित्त वर्ष अप्रैल में शुरू होकर मार्च में समाप्त होता है।
इसकी शुरुआत अगले साल आम बजट से होगी जिसे एक महीने पहले जनवरी में पेश किया जा सकता है। यह वित्त वर्ष में बदलाव के लिए जमीन तैयार करेगा।
केंद्र सरकार इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर एन आचार्य की अगुआई वाली विशेषज्ञ समिति ने मौजूद वित्त वर्ष में बदलाव का समर्थन नहीं किया था। समिति के सुझावों पर अभी विचार किया जा रहा है लेकिन सरकार बदलाव के पक्ष में है और इस मुद्दे पर विभिन्न लोगों की राय लेनी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्रियों से कहा था कि उन्हें वित्त वर्ष चक्र में बदलाव के सुझाव पर गौर करना चाहिए और इसे लागू करने के लिए केंद्र को सुझाव देने चाहिए।
आदर्श स्थिति तभी बनेगी जब राज्य सरकारें भी जनवरी-दिसंबर वित्त वर्ष को अपनाएं। अगर केंद्र जनवरी-दिसंबर वित्त वर्ष को अपनाता है तो राज्यों को भी ऐसा ही करना होगा। सरकार के वित्त वर्ष के बदलाव से लोगों और कंपनियों की कर भुगतान की विभिन्न तिथियों में भी बदलाव करना पड़ेगा।