- राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फंसे हुए कर्ज (एनपीए) की समस्या से निपटने के लिए लाए गए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है.
- इस अध्यादेश के जरिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट (1949) में संशोधन किया गया है. इसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को पहले से अधिक अधिकार दिए गए हैं.
इस अध्यादेश के मुताबिक :-
- आरबीआई बैंकों को डिफॉल्टरों के खिलाफ 2016 के ‘इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड’ (किसी को दिवालिया घोषित करने से संबंधित नियम)’ के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दे सकता है.
- इसके अलावा केंद्रीय बैंक को समय-समय पर बैंकों को फंसे हुए कर्ज की समस्या से निपटने के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है. इसके लिए आरबीआई एक या अधिक समिति/प्राधिकरणों का गठन कर सकता है.
- देश में बैकों के लिए एनपीए की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले साल 24 सरकारी बैंकों के एनपीए में 56.4 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
- इस दौरान यह आंकड़ा 6.15 लाख करोड़ रुपये हो गया जो 2015 में 3.93 लाख करोड़ रुपये था. वहीं 2016 में बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्ज में एनपीए की हिस्सेदारी 7.16 से बढ़कर 11 फीसदी हो चुकी है.