राजकोषीय घाटे का लक्ष्य नहीं बल्कि होगी रेंज (Fiscal Deficit)

:- सरकार राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तय करने की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव कर सकती है। वित्त मंत्रलय ने राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजटीय प्रबंधन कानून की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है जो राजकोषीय घाटे का दायरा तय करने की व्यवहारिकता पर विचार करेगी।

  • समिति राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के बजाय रेंज तय करने की भी संभावना तलाशेगी।
  • राज्य सभा के पूर्व सदस्य एन के सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति 31 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट देगी।

 

- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2016-17 में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजटीय प्रबंधन की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन करेंगे। इस घोषणा को अमल में लाने के लिए ही वित्त मंत्री ने इस समिति का गठन किया है।

- पूर्व वित्त सचिव सुमित बोस, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन, आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल और एनआइपीएफपी के निदेशक राथिन रॉय समिति में बतौर सदस्य शामिल हैं। मंत्रलय ने समिति को वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और अनिश्चितता के मद्देनजर एफआरबीएम कानून के 12 साल के अनुभव की समीक्षा करते हुए सुझाव देने को देने को कहा है।

- इसके साथ ही समिति को एफआरबीएफ लक्ष्यों के विभिन्न पहलुओं की व्यापक समीक्षा करने को भी कहा है। इसके अलावा मंत्रलय ने समिति को राजकोषीय घाटे के एक लक्ष्य की जगह राजकोषीय घाटे का दायरा (रेंज) तय करने की व्यवहारिकता तलाशने को भी कहा है।

- मंत्रलय ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि समिति अर्थव्यवस्था में ऋण प्रवाह बढ़ने या घटने के साथ ही सरकारी खर्च बढ़ाने या घटाने की व्यवहारिकता भी तलाशेगी।

- राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के बजाय दायरा तय करने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि कई बार अर्थव्यवस्था में उतार चढ़ाव के चलते केंद्र या राय सरकार को एफआरबीएफ कानून के तहत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में मुश्किलें आती हैं।

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