सरकार ने पूँजीगत वस्तु क्षेत्र में उत्पादन एवं रोजगार के अवसर बढाने के साथ ही इस क्षेत्र के उत्पादों के निर्यात में भारी बढोतरी के लक्ष्य पर आधारित राष्ट्रीय पूँजीगत वस्तु नीति को मंजूरी प्रदान की। यह देश की पूंजीगत वस्तुओं के लिए बनी सबसे पहली नीति है।
=>नीति का लक्ष्य
1. इस नीति के तहत पूँजीगत वस्तुओं के उत्पादन को वर्ष 2014-15 के 2.30 लाख करोड रुपये से बढाकर वर्ष 2025 तक 7.50 लाख करोड रुपये पर पहुँचाने के साथ ही प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में रोजगार की संख्या वर्ष 2025 तक बढाकर तीन करोड़ करना है।
2. नीति के अनुसार, निर्यात उत्पादन के 27 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।
=>और क्या है इस नीति में :-
- इस क्षेत्र में अभी 84 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसमें पूँजीगत वस्तु क्षेत्र से जुडे सह उत्पादों के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी उन्नयन, रोजगार और कौशल विकास पर ध्यान दिया गया है।
- देश को पूँजीगत वस्तुओं के लिए विश्व स्तरीय केंद्र बनाने पर इस नीति में जोर दिया गया है।
- इसमें भारी उद्योग मंत्रालय को विभिन्न कार्यक्रमों को समयबद्ध तरीके से भी लागू करने पर जोर दिया गया है। भारी उद्योग विभाग ने दिसंबर 2014 में मेक इन इंडिया कार्यशाला के दौरान राष्ट्रीय नीति बनाने का विचार रखा था और सभी संबद्ध पक्षों से विचार-विमर्श के बाद यह नीति बनायी गई है।
- नीति के तहत भारत में पूंजीगत वस्तुओं की मांग में घरेलू उत्पादन का हिस्सा 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 80 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। इसी दौरान घरेलू क्षमता के उपयोग को बढ़ाकर 80-90 प्रतिशत करने की तैयारी है।
- इस नीति के जरिए सरकार भारत को एक वैश्विक उत्पादक पावरहाउस बनाना चाहती है।
- नीति में एकसमान वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने की सिफारिश की गई है।