बाजार नियामक संस्था सेबी के ताजा सर्वे के निष्कर्ष :
- निवेश के मामले में भारतीयों की पसंद में आज भी खास बदलाव नहीं आया है। देश में 95 फीसद से ज्यादा परिवार अपने धन को बैंक में जमा करने को तरजीह दे रहे हैं।
- म्यूचुअल फंड या शेयर में निवेश का विकल्प चुनने वालों का अनुपात 10 फीसद से भी कम है।
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए इस सर्वेक्षण के अनुसार जीवन बीमा दूसरा सबसे पसंदीदा निवेश माध्यम है।
- निवेश के पांच शीर्ष ठिकानों में कीमती धातुएं, डाकघर बचतें और रियल एस्टेट भी शामिल हैं।
- सर्वे के मुताबिक शहरी परिवारों में निवेश के लिहाज से म्यूचुअल फंड छठे नंबर (9.7 फीसद) पर है। उसके बाद शेयर (8.1 फीसद), पेंशन योजना, कंपनी जमा, डिबेंचर, डेरिवेटिव व जिंस वायदा (एक फीसद) का स्थान है।
- ग्रामीण क्षेत्र में म्यूचुअल फंड और शेयर के बारे में उनकी जागरूकता बहुत कम (सिर्फ 1.4 फीसद) ही है। हालांकि ग्रामीण इलाकों के 95 फीसद लोगों के पास बैंक खाते, 47 फीसद के पास जीवन बीमा, 29 फीसद के पास डाकघर जमा और 11 फीसद के पास कीमती धातुओं के रूप में धन जमा है।
देश में बढ़ रहा निवेशक आधार
- सेबी के इस सर्वेक्षण में करीब 75 फीसद निवेशकों ने पिछले पांच साल में पहली बार सिक्योरिटी मार्केट में हिस्सा लिया। यह सर्वे 2015 में शुरू किया गया और पिछले साल पूरा हुआ। पिछला सर्वेक्षण 2008-09 में हुआ था। सर्वे के मुताबिक आइपीओ से जुड़ी खबरों के लिए अखबार और टीवी दो सबसे बड़े स्त्रोत हैं।
जोखिम माने खतरा और नुकसान
निवेशकों को जब यह लाइन सुनाई देती है कि यह निवेश बाजार जोखिमों से जुड़ा है, तो उनके लिए इसका मतलब खतरे या नुकसान से होता है। हालांकि, कुछ निवेशकों के लिए जोखिम का मतलब रोमांच और अवसरों से है। निवेशक बाजार जोखिमों मसलन उतार-चढ़ाव और वित्तीय नुकसान को लेकर ज्यादा चिंतित रहते हैं।
जोखिम का मतलब ही निवेशकों के लिए अलग-अलग होता है। जोखिम का जिक्र आते ही 33 फीसद निवेशकों के जेहन में खतरा शब्द सबसे पहले उभरता है। 23 फीसद इसे नुकसान से जोड़ते हैं। सोलह फीसद निवेशकों के लिए यह रोमांच तो आठ प्रतिशत के लिए अवसरों से जुड़ा है।