- सरकार ने स्टार्टअप के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के कोष को मंजूरी दी है।
- इस कोष का इस्तेमाल स्टार्ट अप की मदद के लिए किया जाएगा।
- इसका मकसद 18 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है।
- इस कोष के पूर्ण इस्तेमाल के जरिये करीब 18 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। 10 हजार करोड़ रुपये के कोष से 60 हजार करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश और इससे दोगुना ऋण निवेश हासिल किया जा सकेगा।
- मंत्रिमंडल ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) में स्टार्टअप के लिए कोषों के कोष की स्थापना को मंजूरी दे दी। यह विभिन्न वैकल्पिक निवेश कोषों (एआइएफ) में योगदान करेगा। जो सेबी के पास पंजीकृत हैं। बाद में एआइएफ स्टार्टअप का वित्तपोषण करेंगे।
- यह सरकार की ओर से जनवरी में घोषित स्टार्टअप इंडिया कार्रवाई योजना के अनुरूप है। यह कोष 14 और 15वें वित्त आयोग के चक्र के ऊपर बनाया जाएगा। जो योजना की प्रगति व कोष की उपलब्धता पर निर्भर करेगा।
- 2015-16 में एफएफएस के कोष के लिए पहले ही 500 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जा चुके हैं। जबकि 600 करोड़ रुपए 2016-17 में उपलब्ध कराए जाएंगे।
- औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग (डीआइपीपी) द्वारा सकल बजटीय समर्थन के जरिए अनुदान सहायता का भी प्रावधान किया है। डीआइपीपी स्टार्ट अप इंडिया कार्रवाई योजना के तहत प्रदर्शन की निगरानी और समीक्षा करेगा। रोजाना के परिचालन के प्रबंधन के लिए सिडबी की विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया जाएगा।
- प्रदर्शन की निगरानी और क्रियान्वयन को कार्रवाई योजना से संबद्ध किया जाएगा। जिससे क्रियान्वयन समय के हिसाब से हो सके।
- यह कदम इस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है कि स्टार्टअप्स को घरेलू जोखिम वाली पूंजी की उपलब्धता न होने व परंपरागत बैंक वित्त पाने में अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है।
- बड़ी संख्या में सफल स्टार्टअप्स का वित्तपोषण विदेशी उद्यम कोषों द्वारा किया गया है। इस तरह का वित्तपोषण पाने के लिए कई स्टार्ट अप देश के बाहर स्थित हैं।