प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी गई जिसके तहत आईआईएम अपने छात्रों को डिग्री प्रदान कर सकेंगे|
- इन्हें राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है।
- आईआईएम अब अपने छात्रों को डिग्री दे सकेंगे=> सोसायटी होने के कारण प्रतिष्ठित आईआईएम वर्तमान में डिग्री देने को अधिकृत नहीं हैं और प्रबंधन में परास्नातक डिप्लोमा और फेलो प्रोग्राम की डिग्री देते हैं।
=>क्या खास है इस विधेयक में :-
- हालांकि इन पाठ्यक्रमों को क्रमश: एमबीए और पीएचडी के बराबर माना जाता है लेकिन समानता वैश्विक रूप से स्वीकार्य नहीं है खासकर फेलो प्रोग्राम के लिए।
- विधेयक में संस्थानों को पूर्ण स्वायत्ता दी गई है जिसमें पर्याप्त जवाबदेही भी होगी।
- विधेयक में जिस ढांचे का प्रस्ताव है उसमें इन संस्थानों का प्रबंधन बोर्ड से संचालित होगा जहां संस्थान के अध्यक्ष और निदेशक बोर्ड द्वारा चुने जाएंगे।
- बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्ववर्ती विद्यार्थियों की ज्यादा भागीदारी होगी।
- विधेयक में एक प्रावधान यह भी है कि बोर्ड में महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को शामिल किया जाए।
- विधेयक में स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा समय-समय पर संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा का भी प्रावधान है और इसके परिणाम सार्वजनिक किए जाएंगे।
- संस्थानों की वार्षिक रिपोर्ट को संसद में पेश किया जाएगा और उनके खाते का ऑडिट कैग करेगा।
- विधेयक में आईआईएम के संयोजन फोरम का भी प्रस्ताव है जो सलाहकार संस्था के तौर पर काम करेगा।