आधार कार्ड की जानकारी लीक होने का खतरा कायम

Context

हाल में एक्सिस बैंक से आधार का बायोमेट्रिक डेटा चोरी हो गया। इसके बाद प्राधिकरण ने एक्सिस बैंक के खातों के आधार पर लेन-देन बंद कर दिया था। यह एक नमूना है, जिसमें एहतियाती कदम उठा लिए गए लेकिन, जब आधार नंबर की संख्या 131 करोड़ तक पहुंच जाएगी और केंद्र व राज्य सरकार की सभी योजनाओं को इससे जोड़ दिया जाएगा तब डेटा सुरक्षा की रोजाना की चुनौती बड़ी हो जाएगी।

  • चुनौती यह भी होगी कि जिन लोगों के आधार नंबर जारी नहीं हुए हैं उन्हें कैसे सरकारी योजनाओं की सुविधा मुहैया कराई जाए और जिनकी सुविधाएं आधार संख्या से जुड़ी हैं उनके डेटा को कैसे गोपनीय रखा जाए।
  • आधार कार्ड का सारा कमाल बायोमेट्रिक डेटा यानी उंगलियों के निशानों और आंख की पुतलियों पर आधारित है। कई बार मनुष्य के काम और बीमारी के कारण उसकी अंगुलियों की छाप और पुतलियों की संरचना में बदलाव होता है व कम्प्यूटर व्यक्ति को पहचानने से इनकार भी कर देता है।

Steps towards data protection

सरकार ने आधार कार्ड की जानकारी की सुरक्षा के बारे में रेगुलेशन तैयार कर लिया है और उसके दुरुपयोग पर तीन साल की सजा का प्रावधान भी करने जा रही है लेकिन, डेटा चोरी और उसके गलत इस्तेमाल का खतरा टला नहीं है। सबसे बड़ा खतरा बैंक खातों के बारे में है। अगर बैंक खातों से संबंधित आधार कार्ड का डेटा हैक हो गया तो किसी के भी खाते से धन निकासी को रोक पाना कठिन होगा। ऐेसे में इसकी जिम्मेदारी बैंक लेगा या भारतीय विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण (यूआईडीएआई) यह स्पष्ट नहीं है। संभव है डेटा चोरी होने का मुकदमा दायर भी हो जाए लेकिन, असली सवाल यह है कि खातों से चोरी गए धन की भरपाई कौन करेगा?

Conclusion

हैकिंग और सरकारी एजेंसियों द्वारा लोगों की जासूसी का खतरा व्यक्ति की संपत्ति और निजी स्वतंत्रता के अधिकारों से जुड़ा हुआ है। कानून बन रहा है कि आधार कार्ड से होने वाले कारोबार के डेटा को सात साल सुरक्षित रखा जाए ताकि विवाद होने पर उन्हें उपलब्ध कराया जा सके। सुरक्षा एजेंसियां भी डेटा तक तभी पहुंच सकेंगी जब जिला जज अनुमति दे और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर डेटा तभी हासिल किया जा सकता है, जब संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी इजाजत दे। इनके बावजूद जाति, धर्म और विचारधारा के आधार पर काम करने वाली कार्यपालिका से भी दुरुपयोग के खतरे हैं और हर हाल में लाभ कमाने वाले चोरों से भी।

 

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download