पहली बार केंद्र ने आम आदमी को भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग करने के वास्ते अधिकार संपन्न बनाने का फैसला किया है।
क्यों यह फैसला : यह कदम सुब्रमण्यम स्वामी बनाम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं अन्य के मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद उठाया गया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि प्रासंगिक कानूनों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो नागरिक को उस जनसेवक पर मुकदमा के लिए शिकायत दर्ज करने से रोकता है जिसपर अपराध करने का आरोप है।
इस फैसले के बाद कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को बिना किसी प्रस्ताव या दस्तावेजों के आईएएस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगने संबंधी निजी व्यक्तियों से अनुरोध मिले हैं। डीओपीटी ने आज जारी मसविदा दिशानिर्देश में कहा कि यह उल्लेखनीय है कि ऐसे अनुरोध, जो नागरिकों से मिले हैं, शिकायत की तरह के हैं और उनके साथ उनके पक्ष में कोई दस्तावेज सबूत नहीं है, जिनकी जांच करवा सकते हैं यानी कि ऐसे अनुरोध बिना किसी प्रस्ताव या दस्तावेज के बगैर होते हैं।
उसने कहा कि जांच एजेंसियों से प्राप्त मामलों के लिए मूलभूत मापदंड और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह तय किया गया है कि निजी व्यक्ति से प्राप्त अभियोजन मंजूरी संबंधी अनुरोध से निबटने के लिए प्रक्रिया को सही दिशा प्रदान की जाए।