स्टार्ट अप की परिभाषा में परिवर्तन

केंद्र सरकार ने 16 जनवरी 2016 को नवाचारो और स्टार्टअप को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए उचित वातावरण के निर्माण हेतु स्टार्ट अप इंडिया की शुरूआत की थी। इसका उद्देश्य देश में आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान करना और बड़े स्तर पर रोजगार के अवसरो में वृद्धि करना था।

देश में उद्ममशीलता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने स्टार्टअप की परिभाषा में परिवर्तन किया है। स्टार्टअप की परिभाषा में निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं।

  1. स्टार्टअप की अवधि में वृद्धि- स्टार्टअप की स्थापना में लगने वाली दीर्ध उत्पादन पूर्व अवधि को देखते हुए अब पंजीकरण के सात वर्ष तक( पूर्व में 5 वर्ष) स्टार्टअप पर विचार किया जाएगा। हालांकि बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में यह पंजीकरण के 10 वर्ष तक प्रभावी रहेगा।
  2. अनुशंसा के पत्र की आवश्यकता नहीं- किसी भी मान्यता या कर में छूट के लिए किसी इन्व्यबेटर या उद्योग संघ के अनुशंसा पत्र की आवश्यकता नहीं होगी।
  3. रोजगार और संपत्ति सृजन की संभावना- परिभाषा के कार्यक्षेत्र में बढोत्तरी कर इसमें रोजगार उत्पादन या संपत्ति सृजन के व्यापार मॉडल की माननीयता को सम्मिलित किया गया

स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग भागीदारको के साथ गहन विचार-विमर्श कर रहा है। उपरोक्त परिवर्तनो का उद्देश्य नए स्टार्टअप को प्रोत्साहन देकर नए व्यापार को सुगम बनाना और देश को रोजगार की खोज करने वालो के स्थान पर रोजगार निर्माताओ के रूप में बदलना है।       

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