विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा सेज़ (एसईजेड) उस विशेष रूप से पारिभाषित भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं, जहां से व्यापार, आर्थिक क्रिया कलाप, उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को किया जाता है। यह क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित किए जाते हैं। सरकार ने एक महत्वपूर्ण यह अधिनियम-2005 में पारित किया
SEZ के मुख्य उद्देश्य-
1 अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों का संचालन
2 वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहन
3 स्वदेशी और विदेशी स्रोतों से निवेश को प्रोत्साहन
4 रोजगार के अवसरों का सृजन
5 आधारभूत सुविधाओं का विकास
विशेष आर्थिक जोन क्या सफल हैं ?
प्रश्न: भारत में निर्यात को बढ़ावा देने और बड़ी मात्रा में रोजगार सृजन हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना की गयी। पर देखने में आया है कि विशेष आर्थिक क्षेत्र अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सके हैं। देश के यह विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) घाटे में क्यों हैं? वे कौन से तत्व हैं जो विशेष आर्थिक क्षेत्र के विकास में बाधक हैं?
भारत के ज्यादातर विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) मंदी का शिकार नजर आते हैं.
† समस्याएं जो भारत के ज्यादातर एसईजेड के सामने पेश आती हैं...
- निरंतर गिरता निर्यात
- डी-नोटिफिकेशंस के बढ़ते आवेदन
- नए SEZ के लिए बेहद कम आवेदन
=>एसईजेड के क्षेत्र में आई मंदी के कारण...
1. निर्यात की वैश्विक उद्घोषणा
2. एसईजेड के लिए अस्पष्ट वित्तीय कानून.
3. न्यूनतम वैकल्पिक कर से कोई राहत नहीं, यह वो रकम होती है जिन्हें कंपनियों को तब भी चुकाना पड़ता है जब उन्हें अन्य करों से राहत मिली होती है.
4. डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स में कोई राहत नहीं. निवेशकों को दिए जाने वाले लाभ की रकम पर यह कर लगाया जाता है.
=> सरकार एसईजेड में छायी मंदी से निपटने के लिए क्या कोशिश कर रही है...
1. एसईजेड के विकास आयुक्तों के साथ नियमित समीक्षा बैठकें.
2. एसईजेड के हिस्सेदारों के साथ बैठकें और देशभर में प्रचार के लिए रोड शो.
अपनी बात को पुष्ट करने के लिए कुछ आंकड़े :-
★6.1 फीसदी की गिरावट 2013-14 और 2014-15 के बीच निर्यात में आई.
★2013-14 में भारत के एसईजेड से 4,94,077 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था. जबकि 2014-15 में यह गिरकर 4,63,770 करोड़ रुपये पहुंच गया.
★विशेषकर एसईजेड निर्यात 2012-13 में 31 फीसदी से 2013-14 में 4 फीसदी पहुंच गया.
★दिसंबर 2015 तक 3,41,685 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ. जो इससे पिछले साल की तुलना में 1.8 फीसदी की कमी दर्शाता है.
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